एक तरफ हरियाणा की जेजेपी+बीजेपी सरकार ने बजट में सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा का एलान किया है लेकिन साथ दूसरी तरफ कहा कि राज्य में 1057 प्राइमरी और मिडिल स्कूल बंद किए जाएंगे. राज्य में 25 से कम छात्रों वाले 743 प्राथमिक स्कूल नए शैक्षिक सत्र में बंद होंगे.
इसके साथ ही कम विद्यार्थियों वाले 314 मिडिल स्कूलों को भी आसपास के विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा.. विधानसभा में बताया गया कि प्रदेश में 91 स्कूल ऐसे हैं जिनमें पांच से कम विद्यार्थी हैं. राज्य में 120 स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या दस से भी कम है.
इसके अलावा 204 स्कूलों में 15, 180 स्कूलों में 20 और 148 स्कूलों में 25 से कम विद्यार्थी हैं. इसके साथ ही राज्य के 314 मिडिल स्कूलों को भी आसपास के स्कूलों में समायोजित किया जाएगा.
इस बबात जब जिला शिक्षा मौलिक अधिकारी ऋतु चौधरी से बात की तो उन्होंने कहा कि सरकार ने यह आदेश दिए है कि राज्य के कई प्राइमरी और मिडिल स्कूल बंद किये जाएंगे,
वही फरीदाबाद के 7 विद्यालयों की रिपोर्ट सरकार को बनाकर भेजी है इन स्कूलों के छात्रों को नजदीकी विद्यालय में शिफ्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है फरीदाबाद में 7 स्कूलों को बंद किया जाएगा लेकिन इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई पर कोई असर नही पड़ेगा।
उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले विद्यालय के विद्यार्थियों को शिफ्ट किया जाएगा। वही उस विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को भी नजदीकी स्कूल में शिफ्ट किया जाएगा ।
जब उनसे पूछा गया कि हर साल सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के ग्राफ के बारे में क्या कहना है?
तो उन्होंने कहा था इस बार संस्कृति स्कूल खुलने के कारण सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा अब तक के आंकड़े से ज्यादा होगा अमूमन बात की जाए तो यदि 1लाख बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं तो उस में इजाफा होकर यह संख्या डेढ़ लाख तक पहुंच जाएगी ।
जेबीटी शिक्षकों की दूर होगी कमी
1 किलोमीटर के दायरे में आने वाले उन सभी स्कूलों को बंद किया जा रहा है जिसमें विद्यार्थियों की संख्या 25 से कम है साथ ही विद्यार्थियों के साथ साथ उस स्कूल में कार्यरत टीचर्स को भी नजदीकी स्कूल में शिफ्ट किया जाएगा इससे जिले में जेबीटी अध्यापकों की कमी दूर होगी क्योंकि ऐसे बहुत से स्कूल है जहां पर विद्यार्थी की संख्या अच्छी है लेकिन उतने वहां पर शिक्षक मौजूद नहीं है
सरकार के इस फैसले से हालांकि सरकार को फायदा जरूर होगा शिक्षा पर होने वाले खर्च में जरूर कमी आएगी लेकिन वही पढ़ने वाले विद्यार्थी और उनके अभिभावकों को थोड़ी परेशानी उठानी पड़ सकती है यदि स्कूल घर की सीमा से थोड़ा दूर होता है तो इन बच्चों को अभिभावकों द्वारा स्कूल छोड़ने के लिए जाना पड़ेगा ।
इस आदेश के आने के बाद एक सवाल जरूर मन में उठता है कि जो सरकारी स्कूल अब तक क्रियान्वित थे अब वह खंडहर हो जाएंगे क्योंकि देखा गया है कि सरकार अधिकतर उन भवनों या इमारतों का ध्यान नहीं रख पाती है जो संचालित नहीं होती हैं क्या इन पुराने स्कूलों का भी वही हश्र आगे चलकर देखा जा सकता है ।
साथ ही सरकार को पहले अपने जागरूकता अभियान के साथ-साथ सर्वे भी करना चाहिए था जिसमें यह अनुमान लगाया जा सकता कि 1 किलोमीटर के दायरे में कितने बच्चे स्कूल में पढ़ने आएंगे इससे इन भवनों के निर्माण में होने वाले खर्च से बचा जा सकता था ।
नोट: सभी तस्वीरे खबर की जरूरत के अनुसार लगाए गए है अर्थात सभी तस्वीरे प्रतीकात्मक है
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