किसान आंदोलन में अब जिस प्रकार राजनीति हावी होती जा रही है उसी को देखते हुए सभी राजनैतिक दल अपनी रोटियां सेकनें में लगे हुए हैं। कोई भी दल हो सभी भाजपा को हटाने के लिए एकजुट होकर किसानों का समर्थन कर रहे हैं। आप आदमी पार्टी भी इसमें पीछे नहीं है। तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में आप विरोध कर रही है।
किसानों के कंधों पर जिस प्रकार बंदूक रख कर विपक्ष गोलियां चला रहा है। उस से छवि साफ है कि वह किसान हितेषी नहीं मोदी विरोधी है। विरोध की कड़ी में अरविंद केजरीवाल इन बिलों के विरोध में उत्तर प्रदेश के बाद अब हरियाणा में हुंकार भरेंगे।
चंद किसान संगठनों की तरफ से चलाए जा रहे इस आंदोलन ने देशद्रोही छवि साबित कर दी है। इसकी झलके मिलती रहती हैं। अब किसानों के समर्थन में चार अप्रैल को जींद के हुडा मैदान में महापंचायत आप द्वारा बुलाई गई है। इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर बिलों से होने वाले नुकसान के बारे किसानों को बताएंगे। बताएंगे या भड़काएंगे आप ही तय करें।
किसान आंदोलन लगातार भयावह रूप लेता जा रहा है। 100 दिनों को आंदोलन पार गया है। चंद किसान संगठनों की ओर से जारी कृषि कानून विरोधी आंदोलन जिस तरह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा, वह केवल किसान नेताओं की जिद को ही जाहिर नहीं करता, बल्कि यह भी बताता है कि वे किस तरह किसानों के साथ छल करने में लगे हुए हैं।
जो किसान नेता अभी तक बोलते आ रहे थे कि यह आंदोलन राजनीती से दूर है। वही नेता इन दिनों बंगाल में ममता बनर्जी के समर्थन में वोट मांग रहे हैं। किसानों को बरगला कर इस आंदोलन को तूल दिया जा रहा है।
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