प्रदेश सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसका इंतज़ार सालों से सभी कर रहे थे। हर हरियाणावासी को इसका इंतज़ार था। दरअसल, मनोहर लाल सरकार ने राज्य के 150 से अधिक कानूनों से पंजाब का नाम हटा दिया है। विधानसभा ने हरियाणा संक्षिप्त नाम संशोधन विधेयक, 2021 पर मुहर लगा दी। राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद प्रदेश के सभी कानूनों से पंजाब शब्द हट जाएगा।
इस विधेयक के पारित होते ही पंजाब नाम हटकर हरियाणा का नाम कानूनों में जुड़ जायेगा। अब प्रदेश के नाम से ही इन कानूनों का वर्णन होगा। सालों से यह काम अटका हुआ था। हरियाणा के बजट सत्र के अंतिम दिन कुल छह विधेयक पारित किए गए।
इस विधेयक को पास करवाने के लिए काफी समय से पूर्व नेताओं ने भी प्रयास किया था। 163 कानूनों को हटाया जाना था लेकिन नौ कानून फिर भी ऐसे रहेंगे, जिनसे पंजाब का नाम नहीं हटेगा। जिनसे अब नाम हटेगा वो हैं, पंजाब श्रमिक कल्याण निधि (हरियाणा संशोधन) विधेयक, हरियाणा आकस्मिकता निधि (संशोधन) विधेयक, हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान क्षति वसूली विधेयक और हरियाणा विनियोग (संख्या 2) विधेयक शामिल हैं।
1966 में हरियाणा पंजाब से अलग होकर एक राज्य बना था। उसी समय से अभी तक यह कार्य नहीं हो सका। पिछले साल विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने इस मुद्दे को उठाया था। स्पीकर के आदेशों पर ही इसके लिए एलआर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। इसमें चार अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।
1966 में हरियाणा देश का 17वा राज्य बना था। बीडी शर्मा पहले मुख्यमंत्री बने थे। देर से सही लेकिन अब इन कानूनों से पंजाब का नाम हटने जा रहा है।
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