होली का त्यौहार देश-विदेश में धूम-धाम से मनाया जाता है। होली और होलिका दहन दोनों की अपनी काफी मान्यताएं हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होलिका दहन के दौरान हवा की दिशा से तय होता है कि आगामी एक वर्ष व्यापार, कृषि, वित्त, शिक्षा व रोजगार आदि के लिए कैसा होगा। जिस दिशा में धुंआ उठता है, उससे भविष्य का हाल जाना जाता है।
हर साल होली का त्योहार आते ही होलिका दहन भी किया जाता है। इस वर्ष यह दहन 28 मार्च को है। होलिका की लौ से ही देश के वर्ष भर का भविष्य पता चल जाता है। वहीं दीपावली और शिवरात्रि की तरह होलिका दहन की रात को भी महारात्रि कहा गया है।
आप में से कई लोग इस होलिका दहन में शामिल होंगे। होलिका दहन के समय अग्नि आसमान की तरफ उठे तो आगामी होली तक सब कुछ अच्छा होता है। सत्ता और प्रशासनिक क्षेत्रों में बड़े बदलाव होते हैं पर यह सकारात्मक होते हैं और कोई बड़ी जनहानि और फिर प्राकृतिक आपदा की आशंका कम ही होती है।
होलिका दहन से काफी लोगों की आस्था भी जुड़ी होती है। काफी लोग इस दिन फ़ास्ट रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन की लौ पूर्व दिशा की ओर चले तो इसे अत्यंत ही शुभ माना गया है इससे शिक्षा- अध्यात्म, धर्म को बढ़ावा मिलता है और रोजगार की संभावना बढ़ती है। लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। मान सम्मान में भी वृद्धि होती है।
फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। रंगों का त्योहार धुरेड़ी 29 मार्च को मनाया जाएगा। पश्चिम की ओर होलिका दहन की अग्नि की लौ उठे तो पशुधन को लाभ होता है। आर्थिक प्रगति होती है, पर धीरे-धीरे। थोड़ी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका रहती है, पर कोई बड़ी हानि नहीं होती है। चुनौतियां तो बढ़ेगी, लेकिन यही सफलता भी दिलाते हैं।
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