भारतीय सेना और नौसेना में महिला अफसरों के साथ स्थाई कमीशन मामले में हो रहे भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ द्वारा बड़ा फैसला सुनाया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय सेना और नौसेना में महिला अफसरों को 1 महीने के भीतर स्थाई कमीशन देने पर विचार करें व 2 महीने के भीतर इन्हें स्थाई कमीशन दो। इसके साथ ही अन्य सुविधाओं पर भी महिलाओं के लिए ध्यान देने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने महिला अफसरों के लिए बनाए गए मेडिकल फिटनेस मापदंड को भी मनमाना व तर्कहीन बताया। महिला अधिकारियों की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के लिए मुश्किल होता है
कि वे चाइल्ड केयर और घरेलू काम की जिम्मेदारी के साथ साथ सेना में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है। ऐसे में महिला अधिकारियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना हर एक की जिम्मेदारी हो जाती है।
बता दें कि भारतीय सेना और नौसेना में महिला अधिकारियों की स्थाई कमीशन मामले में 7 महिला अधिकारियों द्वारा याचिका दायर की गई जिस पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को अहम फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारियों को फिटनेस व अपनी योग्यताओं को पूरा करने के बावजूद स्थाई कमीशन नहीं देने पर नाराजगी व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि दिल्ली कोर्ट ने इस मामले पर वर्ष 2010 में पहला फैसला सुनाया था परन्तु 10 साल बीत जाने पर भी कुछ भी नही हो पाया है
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