किसानों की वास्तविक परिभाषा तय करने और उन्हें लाभ पहुंचाने केे उद्देश्य से हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा एक नई परियोजना शुरू करने हेतु कार्य शुरू किया हुआ है। जानकारी के मुताबिक इस परियोजना को कानून का स्वरूप भी जल्दी प्राप्त हो जाएगा।
सीएम मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि इस योजना को चालू करने के पीछे का उद्देश्य यह है कि इसके बाद जमीन के मालिक और काश्तकार के बीच होने वाले विवाद खत्म होंगे।
जानकारी के मुताबिक सरकार ने ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ के माध्यम से कृषि योग्य भूमि के मालिकों और काश्तकारों का डाटा एकत्र किया है। इस संबंध में अधिकारी एक ड्राफ्ट तैयार कर रहे हैं,
जिसे कानूनी पहलुओं से जांच के बाद लागू किया जाएगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान वही कहलाएगा जो जमीन पर खेती करेगा। प्राकृतिक आपदा के समय मिलने वाले मुआवजे का अधिकार उसी व्यक्ति का होगा, जो संबंधित जमीन का काश्तकार होगा।
वही आगे खट्टर ने कहा कि वास्तविक परिभाषा में किसान कौन है, उक्त विषय पर अभी भी हरियाणा में विवाद है। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने कभी इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
हरियाणा में बहुत से लोग जमीन बटाई पर लेकर खेती करते हैं। उन्हें मुआवजा राशि और अन्य मामलों में परेशानी होती थी। अब यह साफ किया जाएगा कि जमीन का मालिक कौन है और काश्तकार कौन है।
बटाई पर जमीन लेकर खेती करने वाला किसान तो कहलाएगा लेकिन जमीन की मालिकी से उसका कोई संबंध नहीं होगा।
वहीं, अपनी जमीन को किसी दूसरे को बटाई पर देने वाला व्यक्ति मालिक तो कहलाएगा लेकिन वह किसान की श्रेणी में नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि जो वास्तविक धरातल पर उतर कर पसीना बहा कर खेती करेगा उसे ही किसानों की श्रेणी में जगह दी जाएगी।
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