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कुएं में गिरे बच्चे को मां वैष्णो देवी ने बचाया, जाने क्या है पूरी कथा वैष्णो देवी मंदिर की

वैसे तो दिल्ली एनसीआर में अलग-अलग मंदिर है और सभी मंदिरों की अपनी एक विशेष आस्था है परंतु फरीदाबाद के वैष्णो देवी मंदिर का अपना एक अलग इतिहास और मान्यता है। ‌

कहते हैं इस मंदिर में आने से और माथा टेकने से सभी कष्टों का निवारण होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है और रोचक तथ्यों से भरा हुआ है। ‌ आज हम इस लेख के माध्यम से वैष्णो देवी मंदिर से संबंधित कुछ तथ्यों से आपको रूबरू कराएंगे।

कुएं में गिरे बच्चे को मां वैष्णो देवी ने बचाया, जाने क्या है पूरी कथा वैष्णो देवी मंदिर की

क्या है मंदिर का इतिहास
महारानी वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना 1957 में की गई थी। इस मंदिर की स्थापना के पीछे भी एक विशेष कहानी है। महारानी वैष्णो देवी मंदिर के प्रधान जगदीश भाटिया ने बताया कि 1957 में मंदिर वाले स्थान पर एक कुआं हुआ करता है। एक दिन उस कुएं में एक बच्चा गिर गया। उस बच्चे को बाहर निकालने में करीब 7- 8 घंटे लगे। जब उस बच्चें को बाहर निकाला गया तब उस बच्चें ने बताया कि कुएं के अंदर मुझे एक लाल कपड़े में लिपटी हुई देवी ने अपने गोद में बैठा लिया था। इस घटना के बाद हमारे बुजुर्गों ने यहां एक एक ईंट को जोड़कर मंदिर का निर्माण किया है।

जिस समय इस मंदिर का निर्माण किया गया था उस समय यह मंदिर काफी छोटा था और यहां महारानी वैष्णो देवी की प्रतिमा की स्थापना की गई थी। यह प्रतिमा अभी भी मंदिर में विराजमान है। उन्होंने बताया कि उस समय के बुजुर्ग संतराम अरोड़ा, किशन लाल अरोड़ा जगह-जगह जाकर माता की चौकी व जागरण का आयोजन करते थे।
1977 में इस मंदिर का निर्माण पूर्ण रूप से हो गया।

मंदिर की इतनी है मान्यता
महारानी वैष्णो देवी मंदिर की जिले के प्रमुख मंदिरों में से एक है वहीं इस मंदिर की मान्यता भी बहुत है। नवरात्रों के दिनों में तो यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। प्रधान जगदीश भाटिया ने बताया कि यहां मंदिर में आम दिनों में भी 500 से ज्यादा भक्तों का आना होता है।

आपको बता दें कि यह मंदिर सामाजिक कार्यों में भी काफी अग्रसर है। मंदिर की कमेटी समय-समय पर समाज हित के लिए कार्य करती है। मंदिर कमेटी में 17 सदस्य शामिल है वही करीब 100 से ज्यादा लोग इस मंदिर से जुड़े हुए हैं।

कैसे पहुंचे इस मंदिर तक
वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने का मार्ग काफी सुगम है। यदि आप बल्लभगढ़ की ओर से आ रहे हैं तो अपने निजी वाहन या सार्वजनिक वाहनों के माध्यम से यहां तक बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं। वहीं अगर आप दिल्ली की तरफ से आ रहे हैं तो नीलम मेट्रो स्टेशन पर उतर कर सार्वजनिक वाहन व निजी वाहन से यहां तक पहुंचा जा सकता है।

Avinash Kumar Singh

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