अपनी ज़िद्द पर दिल्ली को अपंग बनाकर बैठे किसान शातिर हो गए हैं। कुंडली में प्रशासन को चकमा देकर किसानों ने एनएच-44 पर ईंटों का पक्का मकान बना लिया है। किसानों ने छत डालकर निर्माण पूरा कर लिया है। प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। प्रशासन ने 11 मार्च को इस पक्के मकान का काम बंद करा दिया था। वहीं, इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने भी पक्के मकान नहीं बनाने की अपील की थी।
किसान की जगह यदि इसका नाम अवैध आंदोलन रख दिया जाए तो कोई दोराय नहीं है। हालांकि, किसानों ने कहा कि उन्होंने यह रैन बसेरा बनाया है। 10 अप्रैल को केएमपी को 24 घंटे के लिए जाम किया जाएगा।
दिल्ली की सीमा पर चल रहे आंदोलन को अब साढ़े चार माह पूरे होने काे हैं।ऐसे में पंजाब से काफी संख्या में बुजुर्ग, महिलाएं व बच्चे आ रहे हैं। उनके लिए रहने के लिए कमरे व शौचालय पक्के बनाए गए हैं। हालांकि अधिकारीयों का कहना है कि किसानों ने पूरी तरह पक्का निर्माण नहीं किया है। छत पर टीन डालकर अस्थाई निर्माण किया है।
किसान अपनी जिद्द पर अभी भी अड़े हुए हैं। उनकी ज़िद्द के कारण रोज़ाना हज़ारों लोगों को परेशानी हो रही है। किसानों ने 11 मार्च को ईंटों के पक्के मकान बनाने का काम शुरू किया था, जिसे बंद करा दिया था। जीटी रोड की साइड तिरपाल लगाकर निर्माणाधीन ईंटों के मकान का काम ढक दिया। इसके बाद किसानों ने आनन- फानन में 7 फीट से बढ़ाकर दीवारों को 11 फीट कर दिया। इसके बाद लोहे की टीन से छत पक्की की गई।
किसानों का कम और राजनीति का आंदोलन यह जान पड़ता है। किसान नेता अभी तक बोलते आ रहे थे कि यह आंदोलन राजनीती से दूर है। वही नेता इन दिनों बंगाल में ममता बनर्जी के समर्थन में वोट मांग रहे हैं। किसानों को बरगला कर इस आंदोलन को तूल दिया जा रहा है।
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