जैसे कि जिले में दिन-प्रतिदिन पॉजिटिव केस के मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। वहीं दूसरी ओर अगर हम अस्पतालों की बात करें तो वहां पर टेस्टिंग की लाइन में भी इजाफा हो रहा है। हर रोज करीब हजारों की संख्या में लोग महामारी का टेस्ट करवाने के लिए करवाने के लिया आते है।
अगर किसी व्यक्ति को कोई भी सिस्टम नजर आता है। तो बस तुरंत जाकर को भी टेस्ट करवाता है। लेकिन उस व्यक्ति जितनी टेस्ट करवाने में परेशानी नहीं हुई। उससे कहीं ज्यादा उसको रिपोर्ट लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि हर रोज हजारों की संख्या में टेस्ट हो रहे हैं।
जिसकी वजह से रिपोर्ट भी लेट आ रही है और लोग को दो से तीन बार चक्कर लगाकर रिपोर्ट लेने को मजबूर है। बीके अस्पताल में अगर किसी मरीज का शनिवार को हुआ है। तो नियम के अनुसार उसकी रिपोर्ट सोमवार को उसको मिल जानी चाहिए।
लेकिन सोमवार को जब मरीज अपनी रिपोर्ट लेने के लिए बीके अस्पताल में पहुंचा। तो पता चला कि उसकी रिपोर्ट अभी तक आया ही नहीं है। जिसकी वजह से वह बिना रिपोर्ट लिया वापस जा रहे हैं।
वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी हालत काफी खराब है और वह रिपोर्ट के चक्कर में अपना उपचार नहीं करवा रहे हैं। क्योंकि उनको पता ही नहीं है कि वह पॉजिटिव है या नहीं। इसकी वजह से वह अस्पताल के चक्कर लगाने को मजबूर है।
बल्लभगढ़ के रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि उसने शनिवार को महामारी का टेस्ट करवाया था। क्योंकि उसको 3 से 4 दिन पहले बुखार हुआ था। लेकिन वह बुखार ठीक नहीं हो रहा था। इसी वजह से डॉक्टर ने उसको कोविद टेस्ट करवाने के लिए सलाह दी।
उस व्यक्ति ने बीके अस्पताल में आकर कोविद टेस्ट करवाया और टेस्ट करवाने के बाद कर्मचारियों के द्वारा कहा गया कि उसकी रिपोर्ट सोमवार को दी जाएगी। लेकिन जैसे ही वह सोमवार को रिपोर्ट लेने के लिए आए तो अधिकारियों ने कहा कि अभी रिपोर्ट आई नहीं है।
आप मंगलवार को आना। वही उस व्यक्ति का कहना है कि उसकी तबीयत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। उसको शक है कि वह पॉजिटिव है। इसी वजह से वह रिपोर्ट लेने के लिए बार-बार अस्पताल के चक्कर लगाने को मजबूर है।
रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने की वजह से कई बार पॉजिटिव मरीज खुद ही रिपोर्ट के लिए अस्पताल में चक्कर लगाते हुए नजर आ जाते हैं। ऐसा ही एक नजारा बीके अस्पताल में देखने को मिला। जहां पर एक ही परिवार के 2 लोग रिपोर्ट लेने के लिए बीके अस्पताल में आए थे। जब उनको पता चला कि उनकी रिपोर्ट अभी आई ही नहीं है।
तो उन्होंने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों को की। उच्च अधिकारियों के द्वारा कर्मचारियों को फोन करने पर दोनों को रिपोर्ट दी गई। जिसमें पता चला कि एक व्यक्ति पॉजिटिव है और एक नेगेटिव। अगर इसी तरह बी पॉजिटिव मरीज रिपोर्ट के लिए चालू चक्कर लगाते रहेंगे। तो स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जो मुहिम चलाई जा रही है। वह सब फेल होती नजर आ रही है। क्योंकि अगर मरीज को समय पर ही रिपोर्ट नहीं मिलेगी तो वह उसका उपचार कैसे करवा पाएंगे।
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