फरीदाबाद की यह महिला जरूरतमंद लोगों तक पहुँचा रही है घर जैसा खाना,जानिए कौन है

ऐसी वैश्विक महामारी और तेजी से फैलने वाला संक्रमण जिसे ना तो पूरी दुनिया कभी भूल सकती है और ना ही वह लोग जिसने इस संक्रमण और महामारी के बीच भुखमरी जैसी परिस्थिति को ना सिर्फ देखा हो बल्कि खुद महसूस पर किया हो। कौन भूल सकता है

वह मंजर जब खाली पेट और नंगे पांव मीलों का सफर तय करने के लिए सैकड़ों मजदूर निकल पड़े थे। ना तो जेब में फूटी कौड़ी थी और ना ही पेट में डालने के लिए दाना था। ऐसे में कई समाजसेवियों ने आगे बढ़कर पलायन कर रहे मजदूरों की ना सिर्फ सहायता की बल्कि रोटी के लिए हाथ आगे बढ़ाकर इंसानियत की मिसाल पेश की है।

फरीदाबाद की यह महिला जरूरतमंद लोगों तक पहुँचा रही है घर जैसा खाना,जानिए कौन है

इन्ही संस्था में श्री अशोक जन कल्याण सेवा ट्रस्ट भी शामिल है। जिसकी संस्थापक पूनम भाटिया जो फरीदाबाद के अंतर्गत आने वाले एनआईटी एक नंबर के निवासी हैं। वह ना सिर्फ वर्तमान में बल्कि गत वर्ष लगे लॉकडाउन में भी सक्रिय थी और अभी भी है।

उन्होंने लगातार जरूरतमंदों को राशन पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। एक तरफ जहां वायरस पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष और तेजी से फैल रहा है। ऐसे में भी अपने चिंता की लकीरों को मिटाकर समाज सेविका पूनम भाटिया ने अपने समाजसेवा के जज्बे को कायम रखा हुआ है।

इस बात से सभी वाकिफ हैं कि लॉकडाउन के चलते तमाम होटल, ढाबे, रेस्टोरेंट इत्यादि कर ताले जड़ दिए गए थे। मगर ऐसे में पूनम अपने घर पर तैयार खाने से जरूरतमंदों का पेट भरती रही है और आगे भी यह कार्य करती रहेंगी। जिसके लिए वह सुबह से उठकर अपने काम में जुट जाती हैं

और आसपास झुग्गी झोपड़ी में जाकर घर के बने खाने और सूखें राशन से जरूरतमंदों की मदद करती है। इसके अलावा उन्होंने फेस मास्क और सैंटाइजर बांटकर लोगों को इसके प्रति जागरूक भी किया है। इसके अतिरिक्त पूनम भाटिया रेड क्रॉस सोसाइटी के साथ भी कार्य कर चुकी है

और घर जा कर राशन पहुंचाने में उन्होंने कभी अपने कदम पीछे नहीं हटाए। उनका मानना है कि समाज सेवा से बढ़कर कोई और कार्य हो ही नहीं सकता उन्होंने कहा कि जितना हो सके सक्षम लोगों को जरूरी है कि वह जरूरतमंदों के लिए आगे आए क्योंकि यही वक्त है अपनों को अपनेपन का एहसास दिलाने का।

पूनम भाटिया ने कहा पिछले साल भी लॉकडाउन हुआ। काम धंधे बंद हो गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। घरों में जो लोग मजबूर हैं जिनकी आर्थिक मंदी कुछ खास नहीं थी। उन्होंने ऐसे लोगों का हौसला अफजाई करते हुए उन्हें जितना हो सके समर्थन किया है।

उन्होंने कहा जिस तरह वह पिछले वर्ष लॉकडाउन में भी समाज सेवा करती रही हैं। वह अभी भी इसी में जुटी हुई है, और उन्हें लोगों से मिलने वाला प्रेम और प्रोत्साहित करता है। इसलिए उनके डगमगाने वाले कदम भी संभल जाते हैं।

Avinash Kumar Singh

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