महामारी का दौर दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। जिससे अस्पतालों की स्थिति में भी काफी सुधार देखने को मिला है। लेकिन महामारी की पहली लहर ने जहां लोगों की जमा पूंजी खत्म हो गई थी। वहीं दूसरी लहर ने लोगों को दो वक्त की रोटी के कमाने के लिए भी दुश्वार कर दिया है।
क्योंकि मेहनत मजदूरी करने वाले लोगों का काम पूरी तरह ठप हो गया है। इस महामारी की दूसरी लहर को सबसे ज्यादा जो असर पड़ा है वह गरीब लोगों पर पड़ा है, क्योंकि उन लोगों की जमा पूंजी खत्म हो चुकी है और अब वह अपने परिवार का पालन पोषण करने में काफी असमर्थ है।
इस महामारी के कारण पूरी देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया है।सबसे ज्यादा इस महामारी में गरीब लोगों को अपनी चपेट में लिया है, या फिर ऐसा कह सकते हैं कि महामारी के चलते व्यवसाय खत्म हो गए है। गरीबों को दो वक्त का खाना तक नहीं मिल पा रहा है।
उनके काम काज उनसे छीन लिए गए हैं। इस समय गरीब तो एक समय की रोटी खाने के लिए भी तरस रहे हैं। जहां गरीबों के घर में भी छोटे बच्चे होते हैं। वही आप सोच सकते हैं कितना परेशानियों का सामना उन्हें करना पड़ रहा होगा।
ऐसे ही एक परिवार है जो महामारी के चलते इतने परेशान हैं कि उन्हें दो वक्त की रोटी तक नहीं मिल रही। जिसके लिए वह अपनी किडनी बेचने को भी तैयार हैं। वह अपनी किडनी बेच कर दो समय का खाना खा सके अपने बच्चों का पालन पोषण कर सकें।
हम बात कर रहे हैं, 55 वर्षीय मोहम्मद नौशाद और फातिमा खातून जिनके परिवार में 5 बच्चे हैं। यह दिल्ली के सराय काले खान में 1 बीएचके छोटे से मकान में रहती हैं। इस महामारी के चलते मोहम्मद नौशाद का काम छूट गया था और जितनी उनकी जमापूंजी थी वह भी समाप्त हो चुकी है।
इस समय पूरा परिवार के पास खाने के लिए कुछ नहीं है। उन्हें दो समय का खाना भी नसीब नहीं हो रहा है। वह पहले एक होटल में काम करते थे। जो महामारी के कारण बंद हो गया। उसके बाद उन्होंने सोचा कि मैं रिक्शा चला कर अपने घर बच्चों का पालन पोषण कर लूंगा।
लेकिन रिक्शा का काम भी उनका बंद हो गया और जिस 1BHK के घर में रहते हैं। उसका रोज मकान मालिक आ कर यह धमकी देकर जाते हैं,कि यहां तो उनका किराया दे दीजिए या फिर इस घर को खाली करके कहीं और चले जाए।
उन्होंने बताया कि उनके 5 बच्चे बहुत छोटे हैं और अभी उनमें से कोई भी काम कर कर पैसे कमाने के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन अब वह सोचते हैं कि ना तो उनके पास कोई काम है ना उनके पास इतना पैसा है तो वह अपनी किडनी बेचने तक के लिए तैयार हो गए हैं, कि अब हम अपनी किडनी बेच कर अपने बच्चों का पालन पोषण करेंगे।
इसे साफ दिखाई देता है कि इस समय गरीब कितनी बड़ी परेशानी का सामना करना कर रहे हैं । केवल यही ही नहीं देश में और भी ऐसे गरीब हैं जो इस समय सिर्फ दो वक्त के खाने की रोटी के लिए तड़प रहे हैं।
अमीर लोगों के पास पैसा होने के बावजूद भी दे अपने परिजनों को इस महामारी से बचा नहीं पाए हैं। वहीं गरीबों के पास पैसा नहीं है और वह अपने परिवार को दो वक्त की रोटी भी नहीं दे पा रहे हैं। महामारी की वजह से हर वर्ग के लोग काफी परेशान है।
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