महामारी के दौर में जहां हमें यह पता चल गया है कि ऑक्सीजन अब फिर हमारे कितनी जरूरी है और वह ऑक्सीजन हमें कहां से मिलती है। ज्ञानी हमें अपने पर्यावरण को हमेशा साफ, सुतरा और सुरक्षित रखना चाहिए।
हमें कभी भी कोई भी पेड़ को काटना नहीं चाहिए। इसी के चलते सेव अरावली के द्वारा अरावली को बचाने के लिए मुहिम चलाई जा रही है। जिसमें से एक यह है कि उनके द्वारा हर बरसात के दिनों में पौधारोपण के लिए उनके द्वारा खुद ही बीज पौधे बनाए जाते हैं और बरसात के दिनों में उन पौधों को अरावली में लगाए जाते है।
अरावली में मौजूद जानवरों को अच्छी व साफ हवा मिल सके। सेव अरावली ट्रस्ट के मेंबर जितेंद्र भड़ाना ने बताया कि वह हर साल बरसात के दिनों में उनकी टीम के द्वारा वहां पर पौधरोपण करते हैं। जिसमें हजारों की संख्या में छोटे बड़े पौधे लगाए जाते हैं।
जो कि अरावली के साथ-साथ आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी काफी फायदेमंद होते है। क्योंकि अरावली में कई प्रकार के जीव जंतु रहते हैं।उनकी देखरेख की जिम्मेवारी सेव अरावली ने ले रखी है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा पौधारोपण कार्य को शुरू कर दिया गया है।
सैनिक कॉलोनी की ग्रीन बेल्ट में हजारों की संख्या में उनकी टीम के द्वारा पौधे लगाए जा रहे हैं। जोकि बरसात के दिनों में अरावली की पहाड़ियों में लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि उन पौधों को बनाने के लिए जो बीज का इस्तेमाल कर रहे हैं।
वह गुजरात, राजस्थान, दिल्ली व गुड़गांव से मंगवाए गए हैं। इस बार उनके द्वारा करीब 15000 पौधे अरावली में लगाए जाएंगे। जितेंद्र भड़ाना ने बताया कि उनके द्वारा अरावली में जगह-जगह खाद गिरकर जमीन को दुरुस्त किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि अरावली में पौधे लगाने के बाद कीकर के पेड़ों की बाड़ बन्दी की जाती है ताकि जंगली जानवर पौधों को कोई नुकसान नहीं पंहुचा दे। उन्होंने बताया कि अगर वह तारों के माध्यम से बाउंड्री करते हैं, तो लोगों को लगेगा कि वह कब्जा कर रहे हैं।
इसी वजह से उन्होंने कीकर के पेड़ों को काटकर बाउंड्री वॉल की हुई है। उन्होंने बताया कि अरावली में जिस जगह वह पौधे लगाएंगे वह जगह उनको प्रशासन या फिर यूं कहें फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की ओर से दी गई है। उन्होंने बताया कि सेव अरावली के मेंबर कंट्रीब्यूट करके अरावली को बचाने में हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं।
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