कड़ी मेहनत के दम पर ही मुनाफा और सफलता मिलती है। अगर कोई व्यक्ति काम कर रहा हो और उसके साथ एक और हाथ मदद करने लगे तो मेहनत का फल अधिक मिलता है। पिछले एक साल से महामारी और लॉकडाउन के कारण, देशभर में लगभग सभी स्कूल-कॉलेज बंद पड़े हैं। बच्चों की शिक्षा पूरी तरह से मोबाइल, लैपटॉप और इंटरनेट पर आधारित हो गयी है।
बच्चे आज – कल बस मोबाईल तक सिमित रहे गए हैं। मोबाईल से बहार की दुनिया से यह वाकिफ नहीं हैं। पहले बच्चों को पढ़ाई के बाद, कभी-कभी मोबाइल इस्तेमाल करने को मिलता था। लेकिन, अब महामारी काल में पढ़ाई ऑनलाइन हो जाने के कारण, उनका पूरा दिन मोबाइल पर ही बीतता है, जो उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है।
कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जी मोबाईल से दूर रहते हैं। इनका ध्यान परिवार की तरफ भी होता है। अब हम एक ऐसे परिवार की कहानी बता रहे हैं, जहाँ बच्चे अपनी ऑनलाइन कक्षाओं के बाद मोबाइल पर गेम खेलने की बजाय, खेतों पर पहुँच जाते हैं। खेतों से ताज़ी साग-सब्जियां तोड़ते हैं और ग्राहकों को बेचते हैं। हरियाणा के झज्जर में रहने वाले 44 वर्षीय कुलदीप सुहाग और उनके घर के सभी बच्चे, पढ़ाई के साथ-साथ खेती में भी हाथ बंटा रहे हैं।
कुलदीप बताते हैं कि उनको बच्चों पर बहुत गर्व है। वह कड़ी मेहनत करते हैं। कुलदीप बताते हैं, “मैंने दो साल पहले, दो एकड़ जमीन पर जैविक खेती शुरू की थी। पहले साल में, मुझे खेती में काफी नुकसान उठाना पड़ा। क्योंकि, तब मुझमें जैविक खेती की कम समझ थी। साथ ही, जैविक खेती में मेहनत ज्यादा है, इसलिए हमें मजदूरों से भी काम कराना पड़ा। इससे हमारा खर्च बढ़ गया था।
अब उनको मुनाफा हो रहा है। इसका सारा श्रेय वह अपने परिवार को देते हैं। कुलदीप बताते हैं कि वह दसवीं की पढ़ाई के बाद, 1995 में खेती करना शुरू कर दिए। वह पहले रसायनयुक्त खेती करते थे।
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