महामारी का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है और इस समय लोग महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और डबल मास्क का प्रयोग कर रहे हैं। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति घर से बाहर निकलता है, तो वह मास्क व सैनिटाइजर साथ लेकर निकलता है।
ताकि वह महामारी से ग्रस्त ना हो सके। लोगों के मन में अभी भी डर है कि कहीं वह महामारी की चपेट में ना आ जाए इसलिए वह अपनी ओर से पूरी सावधानी बरत रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं कि अब बच्चों को भी मास्क लगाना जरूरी है।
इसका मुख्य कारण यह है कि तीसरी लहर हमारे क्षेत्र में कभी भी दस्तक दे सकती है। इस तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर दिखाई दिया जा सकता है। इसी के चलते तीसरी लहर यानी महामारी संक्रमण का खतरा बच्चों पर ज्यादा बना हुआ है।
तभी बच्चों के घरवाले भी इसी चीज से परेशान है कि तीसरी लहर बहुत ज्यादा भयानक और बच्चों पर प्रभाव डालने वाली आएगी। इसी को लेकर सरकार ने पहले से ही तैयारियां कर ली हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इस महामारी की स्पेशल गाइडलाइन जो केवल बच्चों के लिए जारी की गई है।
इस गाइडलाइन में जो बच्चे 5 साल व उससे कम उम्र के बच्चों को मस्क ना लगाएं। जो बच्चे 6 से 11 साल तक बच्चों को उनके परिज़ानों की निगरानी में मास्क पहनना जरूरी है। साथ ही यह भी कहा गया है कि 12 से अधिक उम्र के बच्चे मास्क जरूर पहने।
इसके अलावा यह भी कहा गया है कि इस महामारी से संक्रमित बच्चों को रेमेडीसेवर इंजेक्शन लगवाने की अनुमति नहीं दी गई है। इसके अलावा किसी भी बच्चे को स्थित स्टेरॉयड भी नहीं दिया जाएगा। बच्चों के लिए 6 मिनट के वॉक टेस्ट की भी सलाह दी गई है। स्टेरॉयड बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है।
जिन्हें इस महामारी के ज्यादा लक्षण नहीं है और अगर कोई भी बच्चा इस महामारी से ग्रस्त हो जाए और उसको ज्यादा भयानक लक्षण ना हो तो उन्हें दवाई देकर भी ठीक किया जा सकता है। जब भी आप स्टेरॉयड का इस्तेमाल करें तो डॉक्टर से पूछ ले कितनी और कब कितना डोज़ देना है।
बच्चे का सिटीस्कैन होने के बाद ही सही मात्रा में ही इसका इस्तेमाल किया जाता है। इससे डॉक्टर से सलाह जरूर लें। अगर बावचो को बुखार है तो उसको 4 से 6 घण्टे के बाद पी सी एम दे, साथ ही ज्यादा खांसी व कफ होने पर उन्हें गुनगुना पानी दे और बच्चों की तीसरी लहर से बचाने के लिए उनकी देखरेख जरूर करें। इससे बच्चे सुरक्षित रहेंगे और उनका महामारी से ग्रस्त होने का खतरा भी कम रहेगा।
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