हरियाणा : हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा दसवीं के छात्रों का परीक्षा परिणाम शुक्रवार को घोषित किया है प्रदेश के सभी विद्यार्थी पुरे नंबर से पास हुये ,वही हरियाणा के
इतिहास में यह पहली बार हुआ है की प्रदेश में एक भी बच्चा फेल नहीं हुआ बल्कि जिन बच्चो ने पास होने की उम्मीद छोड़ रखी थी उनको भी अच्छे नंबर से पास हुए है। हरियाणा बोर्ड ने आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर बच्चो को पास किया गया है।
महामारी के कारण बच्चे स्कूल की जगह ऑनलाइन क्लास ले रहे थे लेकिन जब परीक्षा का समय आया तो महामारी ने अटैक कर दिया और स्कूल बंद हो गए। पिछले दिनों दसवीं व बारहवीं की परीक्षा भी रद कर दी गई। शुक्रवार को हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने स्कूल स्तर के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर विद्यार्थियों को पास कर दिया गया। स्कूल स्तर पर प्रेक्टिकल लिए गए ।
उसी के आधार पर बोर्ड ने यह परीक्षा परिणाम जारी कर दिया गया है। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो जिन विद्यार्थियों के नंबर नहीं भेजे गए है उनका परीक्षा परिणाम रोक लिया गया है। कितने विद्यार्थियों को परीक्षा परिणाम रूका है अभी तक इसकी कोई लिस्ट नहीं आई है।
बल्ल्भगढ़ के राजकीय कन्या विद्यालय की छात्रा शिवानी ने बताया की उनको 500 में से 500 मार्क्स मिले है लेकिन यह खुशी उतनी नहीं है जितनी परीक्षा देकर पास होने पर आती क्यों की पूरी साल मेहनत की है और लगता है की बिना किसी इम्तहान के पास होने में वो ख़ुशी नही होती है
वही 10वी की छात्रा मधु भी कहती है की इतनी ख़ुशी नहीं है यह मार्क्स बिना एग्जाम दिए आये है यदि हम परीक्षा देकर पास होते तो ज्यादा ख़ुशी होती चाहे थोड़े काम ही क्यों ना आते।
दसवीं की छात्रा मोनिका ने कहा की वो बहुत खुश है उनका कहना है उनको यह मार्क्स प्रक्टिकल के हिसाब से मिले है हमने तैयारी भी अच्छी की थी उसके हिसाब से हमे मार्क्स मिले है
चावला कॉलोनी के रहने वाले रूपेंद्र का कहना है कि उनका बेटा 10th क्लास में प्रोमोट हुआ है लेकिन यह बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ जैसा है इसमे बच्चो के आकलन कर पाना मुश्किल है ।
इससे बच्चों की काबिलियत का पता नहीं चलता तथा सभी बच्चे एक ही श्रेणी में आ जाते हैं ।
हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा लिए गए फैसले पर लोग अपनी अपनी राय दे रहे है कोई बोल रहा है कि यह फैसला गलत है तो कोई इसके पक्ष में दिखाई दिया । जब बात राजकीय कन्या आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य अशोक कुमार से बात की तो उनका कहना है कि यह फैसला गलत हैं क्योंकि सभी बच्चों को बराबर मार्क्स मिले है किस बच्चे में कितनी क्षमता है इस बात का पता लगाना मुश्किल हो रहा है
कमजोर और अच्छे बच्चों में अंतर नही पता चल पा रहा हैं आने वाले समय मे यह तय कर पाना मुश्किल होगा कि किस बच्चो को क्या सब्जेक्ट लेने है कौनसी स्ट्रीम किस बच्चो को लेनी है आने वाले समय में यदि मैरिट के हिसाब से चुनाव होता है तो इस साल के बच्चे किसी को आगे नही आने देंगे । वही इस साल पास हुए बच्चो को हमेशा अपनी काबिलियत साबित करनी होगी ।
इस कड़ी में जब अध्यापक राजेश भाटी से बात की तो उन्होंने बताया कि इस फैसले से बच्चो का भविष्य अंधकारमय हो गया है इसमें लग रहा है सभी को समान हक मिला है एक बच्चा वह जिसने पूरी साल महेनत की और एक वह बच्चा जिसने कुछ पढ़ाई नही दोनों ही अच्छे नंबर से पास हो गए है सरकार ने एक पॉलिसी बनाई है जिसके आधार पर बच्चो को पास किया जाए ।अंक लाने का भी एक जरिया होना चहिये था यह एक तरह का खिलवाड़ है बच्चों के भविष्य के साथ ।
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