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बाजारों में नहीं मिल रही है किताबें, शिक्षा का अधिकार अधिनियम की खुल रही है पोल

हरियाणा में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद से सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की पुस्तकें बाजार में उपलब्ध ना होने के कारण उन्हें अपनी पुस्तकें खरीदने में परेशानी आ रही हैं। प्रदेश सरकार ने पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को उनकी कक्षा से संबंधित पुस्तकें खरीदने के लिए बच्चों के खाते में 200-300 रुपये मुहैया कराने की घोषणा की थी। लेकिन विद्यार्थियों को बाजारों में किताबें ना मिलने के कारण सरकार के इस फैसले पर अब सवाल खड़े होने लगे है। सरकार की यह योजना असफल होती नजर आ रही है। इसके अलावा अनेक विद्यार्थियों के बैंक खाता अपडेट नहीं हैं जिससे 50 फीसदी विद्यार्थी इस राशि से वंचित रह जाएंगे।


मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा शिक्षा विद्यालय अध्यापक संघ ने कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को पुस्तकों के लिए 200 से 300 रुपये सीधे खाते में भेजने का विरोध किया है।

संघ ने कक्षा 1 से 12 तक के सभी विद्यार्थियों को तुरंत निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध करवाने की मांग की है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा संघ के राज्य अध्यक्ष ने कहा कि गत वर्ष मुख्यमंत्री ने कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों को निशुल्क पुस्तकें देने की घोषणा की थी, लेकिन वह मात्र घोषणा ही रह गई।

बाजारों में नहीं मिल रही है किताबें, शिक्षा का अधिकार अधिनियम की खुल रही है पोल

संघ के महासचिव जगरोशन ने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेवारी से भाग रही है। जब पुस्तकें उपलब्ध करवानी है तो शीघ्र स्कूलों में क्यों नहीं भेजी जा रही ? लगता है सरकार ने पुस्तकों के प्रकाशन के आदेश जारी ही नहीं किए थे।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद से बाजार में कक्षा 1 से 8 की कोई पुस्तक नहीं मिलती। दूसरा पैसे खाते में भेजने से खाता अपडेट न होने की समस्या के कारण लगभग 50 प्रतिशत विद्यार्थी इस राशि से वंचित रह जाएंगे। तीसरा कक्षा वार पुस्तकों के बाजार मूल्य के बराबर राशि जारी की जाए व सरकार बाजार में पुस्तकों को जल्द उपलब्ध करवाएं।

मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा संघ ने सरकार से मांग की है कि सरकार 15 दिन के अंदर पुस्तकें स्कूलों को उपलब्ध करवाएं, ताकि महामारी के दौर में बच्चों को कस्बों में न भटकना पड़े।

यदि किन्हीं कारणों से पुस्तकें नहीं भेज पा रहे तो कक्षा वार पुस्तकों के लागत मूल्य के बराबर राशि स्कूल एसएमसी के खाते में डालकर कहीं से भी पुस्तकों की खरीद सुनिश्चित करवाई जाए। सरकार दसवीं व बारहवीं की बोर्ड फीस भी शीघ्र विद्यार्थियों को वापस करवाए। क्योंकि इस वर्ष परीक्षा के लिए कोई पैसा खर्च ही नहीं हुआ है।

Avinash Kumar Singh

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