Categories: Politics

टीएमसी में मुकुल रॉय का वापसी आना बीजेपी की किसी साजिश की ओर इशारा

चुनाव से महज कुछ समय पहले बीजेपी में शामिल होने वाले टीएमसी के बागी नेता फिलहाल घर की वापसी की तैयारी में जुटे हुए दिखाई दे रहे हैं। वही इस बीच टीएमसी से बीजेपी में आने के बाद अचानक पार्टी में बड़ा कद हासिल करने वाले मुकुल रॉय की पार्टी छोड़ने की वजह कुछ स्पष्ट होती हुई दिखाई नहीं दे रही है।

दरअसल दूसरी तरफ इस सब प्रकरणों को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान यह बता रहा है कि यह सब बीजेपी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। वहीं सुवेंदु अधिकारी के पार्टी में शामिल होने के बाद मुकुल रॉय का जाना भी बीजेपी की योजना का हिस्सा माना जा रहा है।

टीएमसी में मुकुल रॉय का वापसी आना बीजेपी की किसी साजिश की ओर इशारा

दरअसल, मुकुल रॉय सुवेंदु से तीन साल पहले बीजेपी में शामिल हुए थे, उस दौरान बीजेपी का न तो मजबूत आधार था और न ही बंगाल में कार्यकर्ता। ऐसे में बीजेपी ने मुकुल रॉय के जरिए अपना संगठन मजबूत किया और इसका असर 2019 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला. वहीं विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में आए सुवेंदु अधिकारी ने पार्टी को नए आयाम दिए.

भले ही पार्टी सरकार नहीं बना पाई, लेकिन सुवेंदु ने नंदीग्राम सीट से ममता को हराकर न केवल पार्टी में अपनी पकड़ मजबूत की; बल्कि, इसने पार्टी के लिए भविष्य की उम्मीदों को मजबूत किया। इसके अलावा दिलचस्प बात यह है कि 36 का आंकड़ा मुकुल रॉय और सुवेंदु के बीच तब भी था जब वे टीएमसी में थे।

दरअसल, हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद से मुकुल रॉय पार्टी में काफी असहज महसूस करने लगे तो मुकुल रॉय टीएमसी में वापस जाने के कयास लगाए जाने लगे। बी इन अटकलों के बीच, ममता के साथ अचानक बंद कमरे में मुलाकात के बाद मुकुल रॉय टीएमसी में घर लौट आए।

बंगाल में चुनावी हार के बाद इसे बीजेपी के लिए सांगठनिक झटका माना जा रहा है, लेकिन बीजेपी ने उनके जाने पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है. इस पूरे खेल में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी की बड़ी भूमिका है।

दरअसल, मुकुल रॉय सुवेंदु से तीन साल पहले बीजेपी में शामिल हुए थे, उस दौरान बीजेपी का न तो मजबूत आधार था और न ही बंगाल में कार्यकर्ता। ऐसे में बीजेपी ने मुकुल रॉय के जरिए अपना संगठन मजबूत किया और इसका असर 2019 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला. वहीं विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में आए सुवेंदु अधिकारी ने पार्टी को नए आयाम दिए.

भले ही पार्टी सरकार नहीं बना पाई, लेकिन सुवेंदु ने नंदीग्राम सीट से ममता को हराकर न केवल पार्टी में अपनी पकड़ मजबूत की; बल्कि, इसने पार्टी के लिए भविष्य की उम्मीदों को मजबूत किया। इसके अलावा दिलचस्प बात यह है कि 36 का आंकड़ा मुकुल रॉय और सुवेंदु के बीच तब भी था जब वे टीएमसी में थे।

Avinash Kumar Singh

Recent Posts

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती – रेणु भाटिया (हरियाणा महिला आयोग की Chairperson)

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी कर…

2 months ago

नृत्य मेरे लिए पूजा के योग्य है: कशीना

एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 14)…

2 months ago

महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर रक्तदान कर बनें पुण्य के भागी : भारत अरोड़ा

श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर संस्थान द्वारा महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस के उपलक्ष्य में…

2 months ago

पुलिस का दुरूपयोग कर रही है भाजपा सरकार-विधायक नीरज शर्मा

आज दिनांक 26 फरवरी को एनआईटी फरीदाबाद से विधायक नीरज शर्मा ने बहादुरगढ में दिन…

2 months ago