किसानों की आमदनी बढे इसके लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि साल 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना किया जा सके। इस लक्ष्य को पूरा करने में चिया सीड जैसी फसलें प्रमुख भूमिका निभा सकती हैं। चिया सीड को सुपर फूड भी माना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम साल्विया हिस्पानिका है।
किसानों के हित में सरकार लगातार तमाम प्रयास भी कर रही है। चिया सीड फूल वाला पौधा होता है। चिया सीड्स को मूल रूप से मध्य व दक्षिणी मैक्सिको और ग्वांटेमाला की प्रजाति माना जाता है।
खेती का भविष्य बहुत ही उज्जवल हो रहा है। गत वर्षों से इसकी भारत में भी खेती होने लगी है। मध्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच जिले सहित कुछ अन्य इलाकों में किसान इसकी खेती कर रहे हैं। धीरे-धीरे इसका विस्तार अन्य राज्यों में भी हो रहा है। कम लागत और मुनाफा अत्यंत ज्यादा होने के कारण चिया सीड्स की खेती किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
भारत में अब खेती का भविष्य अच्छा नजर आ रहा है। हर कोई किसान बनना चाहता है। स्वास्थ्य के प्रति सजग देशों में इसकी जमकर खेती की जा रही है। भारत में कर्नाटक, तमिलनाडु और राजस्थान के अलावा कई अन्य प्रदेशों के किसान भी इसकी खेती कर रहे हैं। चिया सीड की खेती पूरी तरह से जैविक और आसान है।
नौकरी छोड़कर लोग खेती की तरफ आ रहे हैं। हर कोई खेती करना चाहा रहा है। इसकी दो तरह से बुवाई होती है। छिड़काव विधि से बुवाई कनरे पर एक एकड़ जमीन में करीब एक से डेढ़ किलो बीज लगता है। दूसरी विधि धान की खेती जैसी है। यानी पहले आप नर्सरी में बीज तैयार कर लीजिए और फिर खेत में इसकी रोपाई करिए। इस विधि से रोपाई करने पर एक एकड़ में आधा किलो बीज से काम चल जाता है।
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