हरियाणा : पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस नियम के आधार पर याचिका दायर की थी कि उनकी 5 साल से ज्यादा की सजा पूरी हो चुकी है। उनकी उम्र भी 89 साल है। वह अप्रैल 2013 में 60 फीसदी दिव्यांग हो चुके थे और जून 2013 में पेसमेकर लगाए जाने के बाद से वह 70 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग हो चुके हैं।
भ्रष्टाचार के मामले में वे सात साल की सजा काट चुके हैं। इस तरह से वे केंद्र सरकार द्वारा तय की गई जल्दी रिहाई की सभी शर्तों को पूरा कर रहे हैं। इसलिए अब उनकी सजा माफ की जाए। इसी नियम के तहत उन्हें रिहाई दी जा रही है।
जैसे ही इनेलो के सुप्रीमो के बाहर आने की खबर लगी तो लोगो के मन एक सवाल कोंदने लगा की क्या ओम प्रकाश चौटाला चुनाव के मैदान में वापसी करेंगे लेकिन नियम के मुताबित सजा के 6 साल तक चुनाव नहीं लडा जा सकता है पर ओपी चौटाला एक याचिका दयार करके चुनाव लड़ जा सकते है लोक पप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 (1) के अनुसार 6 साल तक चुनाव नही लड़ सकते ।
लेकिन उक्क्त धारा 11 के तहत एक अर्जी के जरिये इस 6 साल की अयोग्यता को खत्म किया जा सकता है इसका फायदा एक बार पहले भी उठाया जा सका है इसमे सिक्कम के वर्तमान मुख्यमंत्री मंत्री प्रेम सिंह तमांग ने इस अर्जी से इस अयोग्यता को खत्म किया था
नवंबर, 1999 में हरियाणा में 3206 शिक्षक पदों का विज्ञापन जारी हुआ।
अप्रैल 2000 में रजनी शेखर सिब्बल को प्राथमिक शिक्षा निदेशक नियुक्त किया गया।
जुलाई 2000 में रजनी शेखर को पद से हटाकर संजीव कुमार को निदेशक बनाया गया।
दिसंबर 2000 में भर्ती प्रइ की क्रिया पूरी हुई और 18 जिलों में जेबीटी शिक्षक नियुक्त हुए।
जून 2003 में संजीव कुमार इस मामले में धांधली होने का हवाला देकर मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए।
नवंबर 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच करने के आदेश दिए।
मई 2004 में सीबीआई ने जांच शुरू की।
जुलाई 2011 में सभी आरोपितों के खिलाफ चार्ज फ्रेम हुए
दिसंबर 2012 में केस की सुनवाई पूरी हुई।
16 जनवरी 2013 को ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला समेत 55 दोषी करार दिए गए।
22 जनवरी को 10-10 साल की सजा सुनाई गई।
इसलिए अगले 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे चौटाला
एक ओर हरियाणा में चर्चा है कि आने वाले विधाानसभा चुनाव के वक्त चौटाला की रिहाई इनेलो के लिए संजीवनी का काम करेगी,
वहीं कानूनी तौर पर ऐसा संभव नहीं है। OP चौटाला सक्रिय राजनीति नहीं कर पाएंगे। दरअसल, जनप्रतिनिधित्व कानून में प्रावधान है कि सजा पूरी करने के बाद छह वर्ष तक संबंधित व्यक्ति चुनाव लड़ने के अयोग्य रहेगा। यह प्रावधान भ्रष्टाचार निरोधक कानून, आतंकवाद निरोधक कानून और सती निरोधक कानून के तहत सजायाफ्ता व्यक्तियों पर भी लागू होता है।
पहले इस कानून में सजा सुनाए जाने के 6 साल बाद तक यह पाबंदी लागू होती थी, लेकिन 2002 में कानून में बदलाव हुआ और सजा पूरी होने के 6 साल बाद तक भी अयोग्य ही माने जाने संबंधी प्रावधान लाया गया। इसके बाद 2013 में फिर से इस मसले पर लगी पुनर्विचार याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
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