यूपीएससी की परीक्षा पास करना हर किसी का सपना होता है। युवाओं का यह सपना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन नामुमकिन नहीं। मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव की तपस्या एक ऐसी जगह से संबंधित हैं जहां लड़की होने का मतलब होता है, समय से विवाह। जिस दिन किसी के घर में बेटी का जन्म होता है, उस दिन से उसके घरवालों का एकमात्र लक्ष्य बन जाता है, शादी करके उसे सेटल कर देना। लेकिन तपस्या किस्मत की धनी थीं।
यूपीएससी में सफल कैंडिडेट्स की कहानियां अक्सर आपने सुनी होंगी। सफलता की कहानियां लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। इस गांव में रहने के बावजूद उनके परिवार की सोच ऐसी नहीं रही। बल्कि उन्हें तो उनके परिवार ने हर उस कदम पर सपोर्ट किया जब उन्हें जरूरत पड़ी। पढ़ाई का हर संसाधन उपलब्ध कराया और उनसे ज्यादा उन पर विश्वास जताया कि वे इस परीक्षा को पास कर सकती हैं।
यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिये सभी दम लगाकर मेहनत करते हैं।बिना मेहनत के इसमें कुछ हासिल नहीं होता है। परिवार वालों के साथ और इसी विश्वास का नतीजा था कि अपने दूसरे प्रयास में ही तपस्या ने यूपीएससी परीक्षा न केवल पास की बल्कि बहुत अच्छी रैंक भी लायीं। 22 नवंबर 1992 को जन्मीं तपस्या, नरसिंहपुर के जोवा गांव की हैं। उनके पिता विश्वास परिहार किसान हैं और मां ज्योति परिहार सरपंच।
यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिये सभी दम लगाकर मेहनत करते हैं। यूपीएससी में बेहतर रणनीति बनाकर कड़ी मेहनत करनी होती है। तपस्या का बचपन ज्वॉइंट फैमिली में बहुत लाड़-प्यार में बीता। वे बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं। उनकी स्कूलिंग सेंट्रल स्कूल से हुयी और उन्होंने दसवीं और बारहवीं दोनों में अपने स्कूल में टॉप किया था। उनके परिवार को और खुद उनको भी लगने लगा था कि वे यूपीएससी जैसी परीक्षा देने की सोच सकती हैं।
यूपीएससी की परीक्षा में 990 चयनित उम्मीदवारों में से 23वां रैंक हासिल किया तो इनका पूरा इलाका झूम उठा। सिविल सर्विसेस के लिए आमतौर पर ब्रिलिएंट कैंडिडेट ही सोचते हैं, इसलिए तपस्या के अंदर टॉप करने से कांफिडेंस आया कि वे भी इस कठिन परीक्षा को पास करने की कोशिश कर सकती हैं। तपस्या ने साल 2017 में 23वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की।
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