फरीदाबाद : अरावली वन क्षेत्र में आने वाला खोरी गांव को सुप्रीम कोर्ट का आदेश है की उस गांव को तोडा जाएगा, इस आदेश के बाद उन लोग के जीवन को जैसे ग्रहण सा लग गया हो, यहां पर रहने वाले लोग जितना घरटूटने के दर्द से परेशान है।
उतने ही दुखी है यंहा पर कटने वाली लाइट से भी दुखी है यंहा पररहने वाली सुमन बताती ही की जब यह इस बात का पता चला की हमारे घर टूटने वाले है हम तब गाँव गये हुए थे पड़ोसियों दवारा फोन पर इस बात की जानकारी हुई तो सब छोड़ कर वापस आना पड़ा,
यही सरवरी अम्मा कहती है की पूरी दुनिया ने अकेला छोड़ दिया है जब यंहा पर घर खरीदे थे तब यहाँ पर कोई नहीं आया ,एक एक पाई जमा करके हमने यह घर बनाया है
हम यंहा पर 20 साल पहले आई थी तब यह लोग कहा गये थे जो कह रहे है की यहां से हमे खली छोड़ दिया गया है
इस गाँव मे रहने वाले वो लोग है जो दिल्ली में मजदूरी करते है यंहा पर लोग शुरुआत में खदानों में कार्य करते थे वही से यह लोग खदानों के ठेकेदारों के हाथ में फस गए थे उनका कहना कहा था की यह वस्ति नहीं टूटेगी
सोरेन के साथ हुए हदसे ने उसे डरा दिया है
सोरेन ऑटो चालक है वो कहते की खबर सुनते ही मुझे यकींन नहीं हुआ की हम बेघर होने वाले है एक तो काम पहले से ही नहीं थी उसके बाद लॉकडाउन ने परेशान किया है जैसे ही घर वालो ने बताया की पुलिस आई है तो मैं वापस आया तो गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया, दोनों पैरो में चोट लगी है घायल हो गया हूं सोरेन ने कहा की पत्नी नंदनी इस समय गर्भवती है न लाइट ना पानी कितनी परेशानी है।
नंदनी कहती है डिलीवरी का दिन नजदीक है कभी भी डिलीवरी हो सकती है इस हालत में कंहा जाए सरकार के आदेश देर से आये है पहले सरकार कहा गई थी जब यह घर बनाये जा रहे थे हम यहां पर कितने साल पहले आये थे तब यंहा पर किसी ने कुछ नहीं कहा अब रहते रहते इतने दिन होगी अब आशियाना तोड़ा जा रहा है
महंगे बिल महंगा किराया
घर तोड़ने के आदेश पर लोग किराये के घर ढूढ़ने निकलते है उनको मंहगे किराये का सामना करना पड़ता है वह रहने वाली सवा खातून का कहना है
की जब वो घर ढूढ़ने गए तो उनसे जमा शुल्क माँगा जाता है पर हमारे पास इतने पैसे नहीं है की हम नए घर में रहे सके क्योंकि न काम धंधा है ना ही इस समय हम इतनी बचत कर पाए है की उनको कराया दे सके
किसी चमत्कार का है इंतज़ार
चर्च गेट पर रहने वाले जॉन और मिनी कहते है की जब वोट चाहिए तो सब हमारे पास आ जाते है लेकिन अब कोई यंहा पर हमे पहचानता नहीं है दिल्ली वाले कहते है की हरियाणा का पार्ट हो और हरियाणा वाले कहते है दिल्ली का पार्ट है इस कशमकश में दोनों राज्यो ने हमे अनाथ कर दिया।
यंहा पर रहने वाले लोगो को बाहर से आने वाले लोगो के उम्मीद भरी नजर से दखते है की काश कोई चमत्कार हो जाये और यह घर टूटने से बच जाए। यदि को राहगीर उनको दिख जाये तो उससे पूछने लगते है की क्या कोई उम्मीद है इस घर को बचाने की, लेकिन उनको हर बार निराश ही हाथ लगती है
दो राज्यों में फसा यह गाँव आज अपनी ही बदहाली पर रो रहा है यंहा पर रहने वाले लोगो को ज़्यदातर यह बात रहा है की सालो से बनाया गया है वो अब टूट जायेगा
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