अरावली में हो रहे अवैध निर्माण की वजह से होने वाले शोर से वन्य जीव परेशान हो जाते हैं। इसके चलते वे आबादी की तरफ भागते हैं। पिछले दिनों जहां एक तेंदुआ पाली गांव में दिखाई दिया था, वहीं रविवार को एक तेंदुआ सड़क दुर्घटना में मारा गया। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए भी वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट कोई प्लानिंग नहीं कर रहा है। जिससे इनके अस्तित्व को खतरा बढ़ रहा है।
कब दिखे तेंदुए?
12 जनवरी 2011 को फरीदाबाद के खेड़ी गुजरान गांव में तेंदुआ घुस गया था, जिसे लोगों ने मार दिया।
नवंबर 2016 में नर तेंदुआ दिखा था मंडावल गांव में, जिसने 8 लोगों पर हमला किया था। लोगों ने उसे मौके पर ही मार दिया।
दिसंबर 2016 में 4 साल का नर तेंदुआ मेवात के मल्हाका गांव में दिखा, जिसे पकड़ लिया गया।
फरवरी 2017 में 3 साल का नर तेंदुआ पलवल स्थित कृष्णा कॉलोनी में दिखा, जिसे पकड़ लिया गया।
अप्रैल 2017 में गुड़गांव स्थित सोहना के दुर्गा कॉलोनी में दिखा था तेंदुआ, जिसे पकड़ लिया गया।
अक्टूबर 2017 में 8 साल का नर तेंदुआ गुड़गांव स्थित मारुति के प्लांट में घुस गया, जिसे 36 घंटे बाद पकड़ा गया।
7 मार्च 2019 को पलवल स्थित रामनगर के एक घर में तेंदुआ घुस आया था। ये तेंदुआ बाथरूम में घुस गया जिसके बाद लोगों ने उसे बाथरू में बंद कर वाइल्ड लाइफ को सूचना दी।
15 नवंबर 2019 में फरीदाबाद के सुरूरपुर स्थित नानक चंद कॉलोनी के एक फैक्ट्री में व्यस्क तेंदुआ घुस गया था जिसे वाइल्ड लाइफ की टीम ने बचा तो लिया लेकिन अगले दिन उसने दम तोड़ दिया।
अगस्त 2020 में फरीदाबाद- गुड़गांव रोड पर सड़क दुर्घटना का शिकार होकर तेंदुआ मर गया था।
28 जून 2021 को पाली क्रेशर जोन से सूरजकुंड को जाने वाले रास्ते पर 2 साल का तेंदुआ सड़क दुर्घटना में मारा गया।
अरावली में जंगली जीवों का सबसे ज्यादा बसेरा है। साल 2017 की सर्वे रिपोर्ट की मानें तो सबसे ज्यादा तेंदुए, लकड़बग्घे और गीदड़ की संख्या में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक फरीदाबाद और गुड़गांव जिलों के अंतर्गत आने वाले घामरोज, भोंडसी, रायसीना, मांगर, गोठड़ा, बड़खल, कोटला, कंसाली, नीमतपुर, खोल और पंचोटा में तेंदुए और लकड़बग्गों की संख्या काफी बेहतर है।
हालांकि वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट 2021 में फिर से सर्वे कराने की प्लानिंग कर रहा है जिसमें जीवों की संख्या में इजाफा होने का अनुमान है। लेकिन फिर भी सरकार अरावली को संरक्षित नहीं कर पा रही है। हालांकि अरावली के अंदर पीने के पानी के लिए वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट ने 10 कृत्रिम झीलों का निर्माण कराया है लेकिन वह भी न के बराबर है।
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