मनोहर लाल सरकार ने हरियाणा की जनता को बड़ी सौगात दी है। फरीदाबाद और गुरुग्राम सहित सभी शहरी निकायों की दुकानों और मकानों पर 20 साल से काबिज लोगों को मालिकाना हक मिलेगा। इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना पोर्टल http://www.ulb.shops.ulbharyana.gov.in की शुरुआत की। इसके लिए आज से आवेदन किया जाएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने जनसहायक एप भी लॉन्च किया। इसके तहत सभी सरकारी सेवाएं मोबाइल के माध्यम से मिलेंगी।
जनसहायक ऐप एक मोबाइल एप्लीकेशन है इसकी सहायता से लोगों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने इस अवसर पर ‘मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना पोर्टल’ की शुरुआत करते हुए कहा कि राज्य सरकार के इस कदम से लोगों की बड़ी समस्या का समाधान होगा।
उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर 2021 तक जिन लाेगों के शहरी निकायों की दुकानें या मकान पर कब्जे के 20 साल पूरा हो जाएंगे, उन्हें उस प्रापर्टी पर मालिकाना हक दिया जाएगा। इसके लिए पोर्टल के माध्यम से लोग आवेदन कर सकते हैं। मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना पोर्टल पर आवेदन एक जुलाई से किए जा सकेंगे।
इस पोर्टल में उन सभी लोगों को आवेदन करना होगा जो 20 साल से शहरी निकायों की दुकानों और मकानों पर काबिज हैं। आवेदकों को सेल्फ सर्टिफाइड लेटर के जरिये बताना होगा कि वे कितने साल से प्रापर्टी पर काबिज हैं। इसका साइट प्लान भी लगेगा। इसके साथ ही इन आठ दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज लगाना होगा, जैसे बिजली या पानी कनेक्शन का बिल, उप किरायेदारी का समझौता पत्र या किराये की रसीद, रिटर्न, फायर एनओसी आदि।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो व्यक्ति इस योजना का लाभ नहीं उठाएंगे, उनसे मार्केट दर के हिसाब से पूरा किराया वसूल किया जाएगा। हरियाणा में विभिन्न शहरी निकाय क्षेत्रों में काफी संख्या में लोग शहरी निकायों की दुकानों और मकानों पर लंबे समय से काबिज हैं।
जो लोग 20 साल से अधिक समय से शहरी निकायों की जमीन और मकान-दुकानों पर काबिज किरायेदार, लीज धारक और लाइसेंस फीस दे रहे हैं वे लाेग 1 जुलाई से मालिकाना हक के लिए आवेदन कर पाएंगे। मालिकाना हक के लिए कलेक्टर रेट पर अधिकतम 50 फीसद तक छूट दी जाएगी। इस योजना से करीब 25 हजार लोगों को फायदा मिलेगा और हरियाणा सरकार को लगभग एक हजार करोड़ रुपये का राजस्व आने की उम्मीद है।
हर सप्ताह केवल सोमवार को खुलेगा पोर्टल
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग के पास लगभग 16 हजार लोगों का डाटा मौजूद है जो वर्षों से इस जमीन पर काबिज हैं। अभी इस संख्या में और वृद्धि होने की संभावना है। इसलिए हर सप्ताह सोमवार को पोर्टल खोला जाएगा और एक हजार आवेदन आते ही बंद कर दिया जाएगा। इस तरह करीब तीन-साढ़े तीन महीने में सभी आवेदक आवेदन कर सकेंगे।
उन्होंने बताया कि आवेदन के एक माह के अंदर अधिकारी आवेदनों की पड़ताल करेंगे। यदि कोई क्लेम या दावे आते हैं तो एक महीने के अंदर सक्षम प्राधिकारी जांच पड़ताल कर मामले को निपटाएंगे। डेशबोर्ड पर आवेदक अपने आवेदन का विवरण देख पाएंगे। इससे मैन्युअल पंजीकरण प्रक्रिया पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
कितना लगेगा शुल्क
मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने बताया कि अगर किसी ने आबंटित भवन के तल/क्षेत्रफल से अधिक निर्माण किया है तो उसे (अतिरिक्त क्षेत्रफल गुणा 1000 रुपये) अतिरिक्त राशि जमा करनी होगी। यदि आवेदक अलॉटी या सबलैटी नहीं है परंतु पालिसी की सभी योग्यताएं पूरी करता है तो उसे 30 हजार रुपये का एकमुश्त नियमित शुल्क भी भरना होगा। स्थानीय निकाय 15 दिन के भीतर योग्य आवेदकों को नोटिस जारी करेगे। नोटिस जारी होने के 15 दिन के अंदर ही कुल निर्धारित राशि की 25 फीसद पैसा संबंधित पालिका में जमा कराना होगा। शेष 75 फीसद राशि आगामी तीन माह में जमा करानी होगी।
विभिन्न तलों के लिए अलग कीमतें
यदि भवन केवल एक अलॉटी के नाम पर है तो उसे केवल बेस रेट देना होगा। दो मंजिला भवन होने पर भू-तल के लिए बेस रेट का 60 फीसद और प्रथम तल के लिए बेस रेट का 40 फीसद पैसा देना होगा। तीन मंजिला भवन होने पर भू-तल के लिए बेस रेट का 50 प्रतिशत, प्रथम तल के लिए बेस रेट का 30 प्रतिशत और द्वितीय तल के लिए बेस रेट का 20 प्रतिशत राशि का भगुतान करना होगा। छत का अधिकार ऊपरी तल के आवेदक का होगा, लेकिन इस पर अतिरिक्त निर्माण का अधिकार नहीं होगा। इसके अलावा बेसमेंट के लिए भी मालिकाना हक की योजना तैयार की जा रही है।
अनुपयोगी जमीनों को अब बेच सकेंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि पालिकाओं में काफी जमीनें अलग-अलग टुकड़ों में हैं जिनका कोई उपयोग नहीं हो रहा है। इसलिए इन पर अवैध कब्जे होने की आशंका बनी रहती है। इसलिए इन जमीनों को बेचने के लिए स्थानीय निकायों को ही अधिकार देने का निर्णय लिया गया है। इन जमीनों के मूल्य निर्धारण की व्यवस्था बनाई जाएगी और तय कीमत पर ही आवेदन मांगे जाएंगे।
कलेक्टर रेट में ऐसे मिलेगी छूट
कब्जा कलेक्टर रेट में छूट (रुपये में)
20 साल – 20 फीसद
25 साल – 25 फीसद
30 साल – 30 फीसद
35 साल – 35 फीसद
40 साल – 40 फीसद
45 साल – 45 फीसद
50 साल या इससे अधिक – 50 फीसद।
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