जब भी गाडी सिंग्नल पर रूकती है तो एक आवाज आती है ‘साहब कुछ खाने को दे दीजिये दो दिन से कुछ नहीं खाया है ” तब आप इनको कुछ खाने को देते हो या कुछ पैसे देते हो। यह एक मानवता की निशानी हो सकती है लेकिन यदि सामाजिकता की बात की जाये तो यह एक तरीके से भिक्षावृति को बढ़ावा देने जैसा है.
भावना के भाव में आकर लोग इनके नन्हे हाथो पर भीख के टुकड़े रख देते है बिना यह जाने की इस तुच्छ सी राशि का यह क्या करने वाले है और यह बन जाती है इनकी आदत.
इन नन्हे बच्चो के भीख मांगने के पीछे कौन होता है इस बात पर कई बार सामाजिक संगठनो या समाज के प्रभुत्व लोगो ने जानकारी करने की कोशिश की गई लेकिन पूर्णरूप से यह पुष्टि नहीं हो पाई की इसके पीछे कौन है ?
यदि कुछ समय पहले की बात करें तो आज से 15 से साल पहले सिग्नल पर बच्चे भीख मांगते नहीं मिलते थे और वहां भीख मांगते मिलते वो होते थे बुजुर्ग जो साधू की श्रेणी में रखे जाते थे।
कुछ दिनों पहले फरीदाबाद आये दुष्यंत चौटाला द्वारा ली गई जिला लोक संपर्क और परिवाद की बैठक में खेडीकला गांव निवासी विक्रांत गौड़ ने शिकायत उपमुख्यमंत्री के समक्ष रखी थी जिसमे उन्होंने बताया की फरीदाबाद के कुछ इलाकों में बच्चे भीख मांगते हुए देखे जा रहे हैं आगे विक्रांत ने कहा कि करीब डेढ़ साल से मैं बच्चो को देखता आ रहा हूँ लेकिन यह बच्चे अब सिग्नल से हटकर सेक्टर में आ गए है
यह लोग गुब्बारे बेचने के बहाने से लोगो से भीग मांगते है इस बात की शिकायत चाइल्ड वेलफेयर में की गई तोँ उन लोगो ने कहा की हम इस बात पर संज्ञान लेते है दो दिन बीत जाने के बाद यह लोग यंहा पहुंचे तो वंहा पर तो वंहा बच्चे नहीं थे विक्रांत ने कहा कि क्या यह किसी साठ गांठ का परिणाम है कि जो बच्चे 2 साल से यहाँ है वो अचायक ही गायब हो गये ।
दरअसल विक्रांत ने कहा की जब इसकी शिकायत की तो वंहा से जवाब आता है कि जिले में सांसद दीपेंद्र हुड्डा आये है इस लिए सब वंहा पर सभी पुलिस वयस्त है तो अभी कुछ नहीं कर सकते दो दिन के बाद वंहा पर चाइल्ड वेलफेयर से कुछ लोग वंहा पर आते है पर उनको उस दिन वंहा कुछ नही मिल पाता
जब इस बारे में महिला व् बाल विकास अधिकारी सुनीता से बात हुई तो उन्होंने कहा की इस तरह के बच्चो को जागरूक किया जाता है वह वंहा जाकर हम उन लोगो के परिजनों को समझते है की बच्चो से भीख नहीं मंगवानी चाहिए यदि फिर भी वो लोग नही मानते तो उन पर कड़ी कार्यवाही होगी
उन्होंने इस बात के लिए भी जागरूक किया जाता है वो अपने छोटे बच्चों को काम के लिए ना भेजे यह एक अपराध है यदि कोई छोटा बच्चा काम करता हुआ दिखता है तो उनको वंहा से बचाया जाता है यदि यह कार्य उनके माता पिता के द्वारा कराया जाता है तो उनके ऊपर क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी
हम कोशिश करते है की भिक्षावृति जैसी कृतियों को हटाया जाए है यह समाज को धीरे धीरे खोखला करती आ रही है और देश अन्धकार की तरफ बढ़ रहा है बच्चे देश का भविष्य होते है
2019 में कोर्ट ने कहा, ‘लोग सड़कों पर इसलिए भीख नहीं मांगते कि ऐसा करना उनकी इच्छा है, बल्कि इसलिए मांगते हैं क्योंकि ये उनकी जरूरत है. भीख मांगना जीने के लिए उनका अंतिम उपाय है, उनके पास जीवित रहने का कोई अन्य साधन नहीं है.’
कोर्ट ने आगे कहा, ‘सरकार के पास जनादेश सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए होता है जिससे सभी नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं मिलना सुनिश्चित हो सके. लेकिन, भीख मांगने वालों की मौजूदगी इस बात का सबूत है कि राज्य इन सभी नागरिकों को ये जरुरी चीजें उपलब्ध कराने में कामयाब नहीं रहा है.’
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