कोविड-19 महामारी : इन दवाइयों से हो रहे है मरीज़ ठीक, इन का प्रयोग कर रहे है अस्पताल :- कोविड-19 महामारी ने पूरे देश को जकड़ लिया है और अब बढ़ते मामलों मैं वैक्सीन का न होना कर रहा है मुश्किल। वैक्सीन के न होते हुए भी मरीज़ ठीक हो रहे है और उसका कारण है यह 6 दवाइयां जो पूरे देश मे अधिकांश अस्पतालों द्वारा इस्तेमाल की जा रही है ।
रेमीडीसिविर एक एन्टी – वायरल दवा है जिसका निर्माण सबसे पहले 2014 मे इबोला ठीक करने के लिए किया था। इस दवा की विशेषता यह है कि यह वायरल रेप्लिकेशन को शरिर मैं रोकती है।रेमीडीसिविर वैक्सीन को भारत ने आपातकालीन इस्तमाल में 5 खुराकों के लिए मंज़ूरी दी है
जिलीड बायो फार्मा के अनुसार यह वैक्सीन उन मरीज़ों पर अच्छा प्रभाव करती है जिन मरीज़ों को सामान्य स्तर पे कोरोना है।यह वैक्सीन अमेरिका की जिलीड बायो फार्मा कंपनी द्वारा बनाई गई है
फ़ैवीपिरावीर एक एंटीवायरल दवा है जो शरीर मे वायरल रेप्लिकेशन को रोकती है और इसका इस्तेमाल एक इन्फ्लुएंज़ा दवा के तौर पर होता है। यह वैक्सीन जापान के फुजिफिल्म टोयामा केमिकल द्वारा बनाई गयी थी , और भारत मे ग्लेनमार्क फार्मासूटीकल द्वारा बनाई जा रही है। इसका इस्तेमाल सामान्य लक्षण वाले मरीज़ से लेकर अधिक लक्षण वाले मरीज़ तक हो रहा है पर इसके इस्तेमाल की अनुमति मिलना मुश्किल है।
कोविड-19 महामारी :- यह एक प्रतिरक्षादमनकारी दवा है जो आमतौर पर आर्थराइटिस ठीक करने के लिए इस्तेमाल होती है। मुम्बई मे तक़रीबन 100 से ज़्यादा ऐसे मरीज़ है, जो की घातक कोविड-19 महामारी से जूझ रहे थे और उन पर इस महेंगी दवा(40,000-60,000 की एक खुराक) का उपयोग किया जिस से मरीज़ों को वेंटिलेटर की आवश्यकता न पड़े। यह दवा रोऊश फार्मा द्वारा बनाई गयी है और भारत मे यह ऑक्टेमेर के नाम से बिक रही है।
यह दवा आमतौर पर त्वचा की बीमारी व आर्थराइटिस आदि के लिए इस्तेमाल होती है। इसकी जांच और उपयोग मुंबई और दिल्ली मे सामान्य लक्षण वाले मरीज़ से लेकर अधिक लक्षण वाले मरीज़ पर हो रही है। इसकी उपयोगिता का परिणाम जुलाई के पहले सप्ताह मैं आएगा।
कोविड-19 महामारी :- यह एक एन्टीमलेरियल दवा है जिसके ऊपर फिलहाल विवाद चल रहे है। अभी सरकार और मेडिकल साइंटिस्ट यह निर्णय ले रहे है कि यह कोविड से लड़ने लायक है या नही।
भारत इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक है और डाक्टर्स भी हाईड्रॉक्सिक्लोरोक्विन का इस्तेमाल सामान्य लक्षण वाले (जैसे भुखार, सर दर्द , बदन दर्द जैसे लक्षण) मरीज़ो से लेकर अधिक लक्षण वाले मरीज़ पर करते हैं। आईसीएमआर के निर्देश के मुताबिक इसकी शुरवात मे 9 हल्की खुराकें देनी चाहिए।
यह चिकित्सा बहुत ही गम्भीर मरीज़ो के लिए या जिनको कम ऑक्सीजन सैचुरेशन की समस्या है उनके लिए है। इस इलाज मैं एक मरीज़ जो घातक कोरोना से लड़ कर निकल गया है वो अपना प्लाज़मा दान करता है
जो फिर दूसरे मरीज़ों के अंदर डाला जाता है जिस से उनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाए। इसका इस्तेमाल आईसीएमआर द्वारा बनाई गई प्रतिक्रिया व प्रोटोकॉल मे ही कर सकते है।
हालांकि यह सभी दवाइयां मरीज़ को ठीक करने मे सहायक है पर यह इस कोविड-19 महामारी का इलाज नही है। बढ़ते कोरोना मामले और अब तक वैक्सीन का न होना देश को बहुत भारी पड़ रहा है।
Written by: Harsh Dutt
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