पहले कोरोना से जीती जंग फिर फरीदाबाद के ESI हॉस्पिटल को किया प्लाज्मा दान ।

कोरोना महामारी का प्रसार थमने का नाम नहीं ले रहा है। महामारी कोरोना ने अब तक दुनिया में 4 लाख से अधिक लोगों की जान ली है। हर कोने को यह खुशखबरी सुन ने का इंतजार है कि कब महामारी से लड़ने वाली दवा आएगी। महामारी के इलाज के लिए दुनिया के सभी देशों के वैज्ञानिक दिन रात नए – नए शोध कर रहे हैं। लेकिन बहुत से विशेषज्ञों का यह मान न है कि प्लाज्मा थैरेपी उम्मीद की किरण है।

पहले कोरोना से जीती जंग फिर फरीदाबाद के ESI हॉस्पिटल को किया प्लाज्मा दान ।पहले कोरोना से जीती जंग फिर फरीदाबाद के ESI हॉस्पिटल को किया प्लाज्मा दान ।

फरीदाबाद के ईएसआईसी हॉस्पिटल में एक व्यक्ति ने यह कहते हुए प्लाज्मा दान दिया कि उन्होंने इंसानियत निभाई है। ईएसआईसी हॉस्पिटल के प्रबंधन ने बताया कि जिस व्यक्ति ने प्लाज्मा दान दिया है वह कुछ समय पहले अस्पताल में कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए भर्ती हुए थे, अब वह जब पूरी तरह से स्वस्थ हुए थे तो आज उन्होंने प्लाज्मा दान कर दिया ताकि किसी और कि मदद हो सके।

पहले कोरोना से जीती जंग फिर फरीदाबाद के ESI हॉस्पिटल को किया प्लाज्मा दान ।पहले कोरोना से जीती जंग फिर फरीदाबाद के ESI हॉस्पिटल को किया प्लाज्मा दान ।

जिस व्यक्ति ने प्लाज्मा दान दिया है, उन्होंने बताया कि वह सोचते थे कि प्लाज्मा दान देने के लिए बहुत बड़ा प्रोसेस होता होगा। लेकिन उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में ज्यादा वक्त नहीं लगता, सिर्फ सुई लगने जैसा है।कोरोना वायरस से ठीक हुए लोग अब प्लाज्मा दान करने के लिए आगे आ रहे हैं। ईएसआईसी अस्पताल के प्रबंधन ने बताया अस्पताल, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा ओपन लेबल ट्रायल और प्लाज्मा थैरेपी के आकलन के लिए चुना गया है | कोई भी व्यक्ति ईएसआईसी अस्पताल आकर प्लाज्मा दान कर सकता है |

क्या होती है प्लाज्मा ? इंसान के रक्त में चार कण होते हैं। रेड ब्लड सेल, व्हाइट ब्लड सेल, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा। प्लाज्मा खून का तरल हिस्सा होता है, जिसके जरिए एंटीबॉडी शरीर में घूमती हैं। यह एंटीबॉडी संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के खून में मिलकर बीमारी से लड़ने में मदद करती है।

क्या है यह थैरेपी ? कोरोना महामारी से पूरी तरह स्वस्थ हुए लोगों के खून में एंटीबॉडीज बन जाती हैं, जो संक्रमण को हराने में मदद करती हैं। प्लाज्मा थैरेपी में यही एंटीबॉडीज, प्लाज्मा डोनर यानी संक्रमण को मात दे चुके व्यक्ति के खून से निकालकर संक्रमित व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है। डोनर और संक्रमित का ब्लड ग्रुप एक होना चाहिए।

कैसे निकालते हैं प्लाज्मा ? कोरोना संक्रमण से ठीक हुआ व्यक्ति भी क्वारैंटाइन पीरियड खत्म होने के बाद प्लाज्मा डोनर बन सकता है। एक डोनर के खून से निकाले गए प्लाज्मा से दो व्यक्तियों का इलाज किया जा सकता है। एक बार में 200 मिलीग्राम प्लाज्मा चढ़ाते हैं। किसी डोनर से प्लाज्मा लेने के बाद माइनस 60 डिग्री पर, 1 साल तक स्टोर किया जा सकता है।

इंसान के जीवन में सुख आए या दुःख हर अवसर के पीछे कोई कारण छिपा रहता है | लेकिन सच्चा विजेता वही है जो हर परिस्थिति में एक समान व्यव्हार करे | महामारी के इस समय में हमें सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत है | प्लाज्मा दान इस समय सबसे बड़ा दान है |

Avinash Kumar Singh

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