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हरियाणा कांग्रेस में तकरार, जानिए किसको मिलेगा अध्यक्ष पद, क्या कहता है गणित

कांग्रेस में आंतरिक कलह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कांग्रेसी विपक्ष पर तो तब सवाल उठाएंगे जब अपनी खुद की पार्टी पर ढेरों सवाल और प्रसन्न चिन्ह खड़े हुए हैं। एक तरफ पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह मंगलवार को दिल्ली आकर सोनिया गांधी से मिलने वाले हैं। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा कांग्रेस में भी खींचतान थमती नहीं दिख रही है।

हरियाणा कांग्रेस के 22 भूपिंदर सिंह हुड्डा समर्थक विधायकों ने अब दिल्ली में डेरा डाला है और वे मांग कर रहे हैं कि संगठन के मामलों में पूर्व सीएम को पूरी अहमियत दी जानी चाहिए। इन विधायकों का कहना है कि संगठन के मामलों में किसी भी फैसले को लेकर हुड्डा को नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए। प्रदेश में कांग्रेस की संभावनाओं के लिहाज से ऐसा करना सही नहीं होगा।

हरियाणा कांग्रेस में तकरार, जानिए किसको मिलेगा अध्यक्ष पद, क्या कहता है गणितहरियाणा कांग्रेस में तकरार, जानिए किसको मिलेगा अध्यक्ष पद, क्या कहता है गणित


दिल्ली में डेरा डालने वाले इन विधायकों में भारत भूषण बत्रा, रघुवीर कादियान, कुलदीप वत्स, वरुण चौधरी, बिशन लाल सैनी, आफताब अहमद, राजिंदर जून, नीरज शर्मा, मेवा सिंह और जगबीर मलिक जैसे कद्दावर नेता भी शामिल हैं। इनमें से कई विधायकों ने कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात भी की है।

इस मीटिंग में भी उन्होंने मांग की है कि राज्य संगठन में किसी बदलाव को लेकर हुड्डा को अहमियत मिलनी चाहिए। दिल्ली आने से पहले सभी विधायक हुड्डा के घर जुटे थे। हुड्डा समर्थक विधायकों में शामिल भारत भूषण बत्रा ने कहा, ‘हमारा अजेंडा ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी को प्रभावित करना है कि पार्टी के मामलों में पूर्व सीएम को भी महत्व दिया जाए।

कुमारी शैलजा के समर्थन में भी बड़े नेता सामने आ रहे हैं और खुलकर कुमारी शैलजा का समर्थन करते दिख रहे हैं। इस बीच हरियाणा की एक और सीनियर लीडर किरण चौधरी ने भी केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की है और कुमारी शैलजा का समर्थन किया है। दरअसल राज्य में प्रदेश अध्यक्ष बदलने की चर्चा है और हुड्डा अपने लिए यह पद चाहते हैं।

ऐसे में कुमारी शैलजा के खेमे से टकराव की नौबत आ गई है। दरअसल शुरू से ही हरियाणा कांग्रेस दो खेमों में बटी हुई है राज्य में कांग्रेस के कुल 31 विधायक हैं, जिनमें से 22 ने हुड्डा का समर्थन किया है। इस तरह से देखें तो पलड़ा हुड्डा का भारी नजर आता है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा की लड़ाई पुरानी है। इससे पहले भी कई बार दोनों नेता आपस में जोर आजमाइश कर चुके हैं।

शैलजा के करीबी नेताओं का कहना है कि हुड्डा जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं, क्योकि प्रदेश संगठन में परिवर्तन होने वाला है। हुड्डा को डर है कि उऩकी पकड़ कमजोर पड़ सकती है। इसलिए वह पार्टी नेतृत्व पर दबाव बना रहे हैं। अब इस खींचतान में नुकसान खुद कांग्रेस का ही है और विरोधी दल इसका फायदा उठाने से नहीं चुकेंगे।

Avinash Kumar Singh

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