एंड्र्यू सायमंड्स क्रिकेट की दुनिया का एक ऐसा नाम जिसे भुलाया नहीं जा सकता। ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम का यह ऑलराउंडर हर बार बल्ले और गेंद से विरोधियों के मुंह से जीत छीन ले जाता था। एंड्र्यू सायमंड्स का जन्म 9 जून 1975 को इंग्लैंड में हुआ था, लेकिन उन्हें गोद लेने वाले माता पिता ऑस्ट्रेलिया ले आए थे।
सायमंड्स को पहली लाइमलाइट 1995 में मिली जब उन्होंने एक फर्स्ट क्लास मैच में बैटिंग करते हुए 16 छक्के ठोक डाले थे। सायमंड्स की उस पारी में 254 रन बने थे।
सायमंड्स के पास मौका था कि वो इंग्लैंड या वेस्ट इंडीज किसी भी टीम से खेल सकते थे, लेकिन उन्होने ऑस्ट्रेलिया को चुना। लगातार नजरअंदाज किए जाने के बाद भी वो काउंटी क्रिक्रेट में खेलते रहे और आखिर में उन्हें 1998 में ऑस्ट्रेलिया के लिए डेब्यू करने का मौका मिला।
सायमंड्स ने पाकिस्तान के खिलाफ वन डे में डेब्यू किया था। डेब्यू करने के बाद वो अपने प्रदर्शन में निरंतरता नहीं रख पाए और लगातार टीम से अंदर बाहर होते रहे। उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट 2003 वर्ल्ड कप माना जाता है, जब कंगारू कप्तान ने उन पर भरोसा जताया और उन्हें वर्ल्ड कप टीम में रख लिया।
पूरे वर्ल्ड कप में सायमंड्स ने शानदार खेल दिखाया। सायमंड्स को लिमिटेड ओवर्स का शानदार ऑलराउंडर खिलाड़ी माना जाता था , लेकिन उन्होने टेस्ट टीम में भी अपनी जगह जल्द ही बना ली थी। ना सिर्फ बल्ले से बल्कि गेंद और फील्डिंग में भी उनका कोई जवाब नहीं था।
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ऑलराउंडर सायमंड्स और विवाद का भी लंबा नाता रहा था, वे अपनी शराब पीने की आदत पर कभी कंट्रोल नहीं कर पाए जिसकी वजह से वो काफी विवादों में फंसे रहे। 2005 में बांग्लादेश खिलाफ वन डे मैच के वक़्त वो मछली पकड़ने निकल गए थे और इसलिए भारत के लिए अगले दौर में उन्हें चुना ही नहीं गया।
अपने पूरे क्रिक्रेट करियर के दौरान सायमंड्स अजीबों गरीब विवादों में घिरे रहे। भारत के खिलाफ 2005 दौरे में जब वो भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह से भिड़ गए थे, तो यह ना सिर्फ उनका बल्कि क्रिक्रेट इतिहास के सबसे बड़े विवादों में शामिल हो गया।
इसके बाद मामला इस कदर उठा कि भारत को दौरा बीच में ही रद्ध होता दिखने लगा था, हालंकि वरिष्ठ खिलाड़ियों की सूझ बूझ से इसे सुलझा लिया गया।
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आखिरकार उन्होंने 2009 में सन्यास का ऐलान कर दिया, हालंकि वो इसके बाद आईपीएल 2011 तक खेलते रहे थे।
Written by – Ansh Sharma
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