योगी आदित्यनाथ आये एक्शन मोड़ में, जनसंख्या नियंत्रण को लेकर उठाया बड़ा कदम:- असम (Assam) के बाद अब यूपी (UP) में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानूनी उपायों के रास्ते बनने लगे हैं. राज्य विधि आयोग ने यूपी जनसंख्या विधेयक-2021 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. इसमें 2 से अधिक बच्चों के होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का प्रस्ताव है. सरकारी योजनाओं का भी लाभ ना दिए जाने का इसमें जिक्र किया गया है. आयोग ने इस ड्राफ्ट को अपनी वेबसाइट http://upslc.upsdc.gov.in/ पर अपलोड कर दिया है जिस पर 19 जुलाई तक जनता से राय भी मांगी गई है.
गौरतलब है कि विधि आयोग यह ड्राफ्ट ऐसे समय पर पेश किया है जब 2 दिन बाद योगी सरकार नई जनसंख्या नीति जारी करने जा रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने इसमें खासतौर पर समुदाय केंद्रित जागरूकता कार्यक्रम अपनाने पर जोर दिया है. हालांकि आयोग का कहना है कि वह कानून का मसौदा स्वप्रेरणा से तैयार कर रहा है.
यूपी में सीमित संसाधन व अधिक आबादी के कारण यह कदम उठाने बेहद ही जरूरी हैं. इस ड्राफ्ट के तहत दो ही बच्चों तक सीमित होने पर जो अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं उन्हें इंक्रीमेंट प्रमोशन सहित और भी कई सुविधाएं दी जाएंगी. अगर कानून लागू हुआ तो 1 साल के भीतर सभी अधिकारियों कर्मचारियों और स्थानीय निकायों में चयनित जनप्रतिनिधियों को शपथ पत्र देना होगा कि वह इस नीति का उल्लंघन नहीं करेंगे.
नियम टूटने पर निर्वाचन रद्द करने का भी प्रस्ताव किया जा सकता है. सरकारी कर्मियों की प्रति रोकने वह बर्खास्तगी का भी प्रस्ताव है इसमें.
अगर परिवार दो ही बच्चों तक सीमित करने वाले जो अभिभावक सरकारी नौकरी में है और स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उन्हें दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में एंपलॉयर कंट्रीब्यूशन बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं दी जाएंगी. दो बच्चे बच्चों वाले ऐसे दंपति जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं उन्हें भी बिजली, पानी, हाउस टैक्स, होम लोन में कहीं छूट दिए जाएंगे.
वहीं दूसरी ओर एक संतान पर स्वैच्छिक नसंबदी करवाने वाले अभिभावकों की संतान को 20 साल तक मुफ्त इलाज, शिक्षा, बीमा, शिक्षण संस्थाओं व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी. सरकारी नौकरी वाले दंपती को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का सुझाव है. अगर दंपती गरीबी रेखा के नीचे हैं और एक संतान के बाद ही स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उनके बेटे के लिए उसे 80 हजार और बेटी के लिए 1 लाख रुपये एकमुश्त दिए जाने की भी सिफारिश है.
ध्यान देने वाली बात यह है कि आयोग ने ड्राफ्ट में धार्मिक या पर्सनल लॉ के तहत एक से अधिक शादियां करने वाले दंपतियों के लिए खास प्रावधान किए हैं. अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक शादियां करता है और सभी पत्नियों से मिलाकर उसके दो से अधिक बच्चे हैं तो वह भी सुविधाओं से वंचित होगा.
हालांकि, हर पत्नी सुविधाओं का लाभ ले सकेगी। वहीं, अगर महिला एक से अधिक विवाह करती है और अलग-अलग पतियों से मिलाकर दो से अधिक बच्चे होने पर उसे भी सुविधाएं नहीं मिलेंगी.
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