नहर पार भारत कॉलोनी की निवासी वंदना गुप्ता स्वस्थ समाज के निर्माण में अपना योगदान दे रही है। उनका दावा है कि योगासन से उनकी जिंदगी बदल गई है। साथ ही वे लगभग 15 वर्षों से लोगों को योग की कक्षाएं भी दे रही हैं।
वंदना की उम्र फिलहाल 22 साल के करीब है और उनकी रीढ़ की हड्डी में इतना दर्द होता था कि वह कुछ काम नहीं कर पाती थी और ना ही ज्यादा देर खड़ी रह पाती थी। बड़े-बड़े अस्पतालों में इलाज भी करवाया लेकिन जब तक दवा खाती, तब तक उन्हें आराम मिलता। इसके बाद फिर वही हाल हो जाता। दर्द के कारण उनका तनाव भी बढ़ रहा था। उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी कि वह कभी ठीक भी हो पाएंगी। लेकिन जब से उन्होंने योग करना शुरू किया, धीरे-धीरे उनकी रीढ़ की हड्डी का दर्द कम होने लगा। उन्होंने ना केवल अपने आप को ठीक किया। बल्कि 15 साल से वह लोगों को योगासन भी सिखा रही हैं।
वंदना महिला पतंजलि योग समिति की जिला प्रभारी भी रह चुकी हैं। अब वे योग प्रशिक्षक बन चुकी हैं। घर पर ही योगासन करती हैं। लोगों को नि:शुल्क योगासन का लाभ भी दे रही हैं।
उन्होंने बताया कि योग गुरु बाबा रामदेव की योग करते हुए कई सारी सीडी बाजार से खरीद कर ले आई और सीडी के माध्यम से उन्होंने भुजंगासन, मरकट आसन और धनुरासन करना शुरू किया। इसके साथ ही उन्होंने प्राणायाम करना भी शुरू कर दिया।
योग करने के कुछ दिन कोई आराम नहीं मिला लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और योग करती चली गई। धीरे-धीरे रीड की हड्डी का दर्द कब होने लगा। इन आसनों के अलावा उन्होंने कई और आसन करने शुरू किए। इससे ब्लड शुगर, बीपी सहित अन्य बीमारियां भी ठीक हो गई।
वंदना ने आगे कहा कि महामारी के डर के कारण कई लोग तनाव में रहते थे। घर से बाहर जाने पर संक्रमण का खतरा रहता था। इसलिए उन्होंने घर पर ही लोगों को ऑनलाइन माध्यम से जोड़कर योग सिखाना शुरू किया। उनकी क्लास में सैकड़ो लोग जुड़े रहते थे।
उन्होंने यह भी बताया कि उनके पति राकेश गुप्ता पहले योग पर विश्वास नहीं करते थे। लेकिन जब उन्होंने वंदना को ठीक होते हुए देखा तब से उन्होंने भी योग करना शुरू किया। योग की बदौलत पति भी स्वस्थ रहने लगे। अब वह अपने बच्चों को भी योगासन के महत्व के बारे में बता रही हैं।
ओम योग संस्थान ट्रस्ट, ओ३म् शिक्षा संस्कार सीनियर सेकेण्डरी स्कूल पाली , फ़रीदाबाद, हरियाणा, भारत…
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