प्रदेश की पुरातत्व विभाग की टीम को अरावली पर्वत श्रृंखला में गांव मांगर और कोट के पास गुफाओं में पाषाणकालीन शैलचित्र मिले हैं। विभाग ने इनकी 20 से 30 हजार साल पुराने होने का अनुमान लगाया है। अधिकतर शैल चित्रों में पशु, पक्षियों, मानव हाथ पैरों की आकृति को उकेरा गया है।
प्रदेश पुरातत्व विभाग के उपनिदेशक बनैनी भट्टाचार्य ने बताया कि गांव मांगर और कोट के पास पहाड़ियों में कुछ गुफाएं मिली है। उनके अंदर और बाहर यह शैल चित्र उकेरे गए हैं।
इनके मिलने का अर्थ है कि इस क्षेत्र में 20 से 30 हजार साल पहले मानव की मौजूदगी थी और वे यहां गुफाओं में रहते थे। उन्होंने बताया कि इस संबंध में अभी रिसर्च बेहद शुरुआती दौर में है।
फरीदाबाद सैनिक कॉलोनी अचीवर सोसाइटी पुरातत्व के छात्र शैलेश बैसला हिस्ट्री में रिसर्च असिस्टेंट के तौर पर शामिल है। वे करीब 2 साल से रिसर्च कर रहे हैं। शैल चित्रों के अलावा उन्हें यहां पाषाण कालीन हथियार और औजार भी मिले हैं।
गांव मांगर निवासी सुनील हरसाना ने बताया कि ग्रामीण इन चित्रों को पहले से देखते आए हैं, लेकिन उन्हें इनके महत्व का नहीं पता था। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र प्राकृतिक दृष्टि से तो समृद्ध है ही, अब इन चित्रों के मिलने से इसका पुरातत्विक महत्व भी बढ़ गया है।
उनका कहना है कि इस क्षेत्र में अगर विस्तृत रिसर्च की जाए तो काफी जानकारियां सामने आ सकती हैं। उन्होंने कहा कि खनन के दौरान यहां कई पुरानी और अनमोल चीजें नष्ट हो चुकी हैं। अब इन्हें और नष्ट होने से बचाने के लिए प्रदेश सरकार को यह क्षेत्र तुरंत संरक्षित घोषित करना चाहिए।
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