साल 2021 की शुरुआत में कोरोना वायरस मामलों में गिरावट के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि नया वर्ष नई खुशियां लेकर आएगा। हालांकि लोगों की इसी लापरवाही ने अब देश को कोरोना वायरस की दूसरी चपेट में ला खड़ा किया, पिछले साल की तुलना में महामारी कई गुना रफ्तार में फैली।
पहली बार है जब देश में प्रतिदिन सामने आ रहे मरीजों का आंकड़ा तीन लाख के करीब पहुंच गया, वहीं सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक देश में इस वर्ष नए संक्रमितों की संख्या पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई। और ये सब सभी ने देखा भी।
लेकिन अब लगातार देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेजी से कम हो रही है। देश में कोरोना संक्रमण दर यानी पॉजिटिविटी रेट में लगातार गिरावट आने के साथ मरीजों के ठीक होने की दर यानी रिकवरी रेट में इजाफा हो रहा है।
पिछले 24 घंटे में देश में बीते 54 दिन में सबसे कम नए कोरोना केस सामने आए हैं। साथ ही कोविड महामारी से मरने वालों की संख्या में भी कमी आई है। और अब ये कमी बदस्तूर जारी है। लेकिन अब हम आपको ऐसी खबर से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसे सुनकर आप चोंक जाएंगे।
क्योंकि जब कोरोना 2021 अपने पीक पर था तब भी यहां कोई कोरोना की चपेट में नहीं आया। चलिए जानिए पूरे विस्तार से पूरी ख़बर। बतादें तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन आश्रम है, जहां हजारों स्वयंसेवकों ने मिलकर खुद और आसपास के 43 गांवों को इस बीमारी से बचाया।
लेकिन सोचने वाली बात ये है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बचाने के लिए स्वयंसेवकों ने क्या तरीका अपनाया? इस आश्रम में 3,000 से अधिक स्वयंसेवक हैं, लेकिन उन्होंने कोरोना का शानदार तरीके से मुकाबला किया। यहां के लोगों का मानना है कि ये उनके खुद के लगाए गए सख्त लॉकडाउन प्रोटोकॉल का नतीजा है।
एक टीवी इंटरव्यू में ईशा योग केंद्र की प्रशासनिक समन्वयक, मां जयत्री ने कहा, पिछले एक साल से हम कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने में बहुत सावधानी बरत रहे हैं। आश्रम में कोई भी आता है तो उसे बाहर ही रोक देते हैं। आश्रम की सभी बाहरी गतिविधियां रोक दी गई हैं।
यहां नियम सख्त रहे, एक नियम बनाया कि अगर किसी ने मास्क नहीं पहना तो उसे एक बोर्ड पकड़ा दिया जाएगा और दो घंटे तक सजा के तौर पर बाहर खड़ा रहना होगा। रोजाना योग, खाना बनाना, बागवानी, खेती, लेखन, ग्राफिक डिजाइन और संगीत का काम जारी रखना है।
रोज टेंपरेचर की जांच, स्वच्छता और सामाजिक दूरी अनिवार्य किया गया। आश्रम के स्वयंसेवकों ने आसपास के 43 गांवों में लगभग एक लाख लोगों को 15 जड़ी-बूटियों का मिश्रण बांटा। साथ ही कश्यम खाने और योग करने की सलाह दी।
इन्ही की वजह से वे भी कोरोना से बचे रहे। यानी कुल मिलाकर, दवाई भी, कड़ाई भी और कोरोना गाइडलाइंस का सौ फ़ीसदी पालन किया गया तब जाकर यहां किसी को भी किसी भी तरह से कोरोना की शिकायत भी नहीं हुई और इस तरह से यहां कोरोना से जंग लड़ी गई।
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