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पति की मृत्यु के दुख में भटक कर 1200KM दूर आ गई थी मां, महाकाल ने ऐसे बेटी से मिलवाया

कोरोना काल को अलग भी कर दें तो भी आज की तारीख में लाखों ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें माता-पिता की दरकार है। लाखों बच्चे बालाश्रय में रह रहे हैं तो वहीं लाखों बच्चे सड़कों पर जिंदगी गुज़ारने को मजबूर हैं। कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से देश में कई जगह पूरे के पूरे परिवार ही उजड़ गए हैं।

ना जाने कितने बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने पालकों को खो दिया है। ऐसे में बीते दिनों जिस तरह ऑक्सीजन, दवा से लेकर अस्पताल में खाली बिस्तरों के लिए सोशल मीडिया पर गुहार लगाई जा रही है

पति की मृत्यु के दुख में भटक कर 1200KM दूर आ गई थी मां, महाकाल ने ऐसे बेटी से मिलवाया

और उतनी ही तेजी से कहां से सब कुछ उपलब्ध हो सकता है उसकी जानकारी सोशल मीडिया पर तैर रही है। वॉट्सएप पर इस तरह की खबरों के फैलाने वाले ज़ाहिर तौर पर अपनी संवेदना जताने की कोशिश में लगे हुए है।

इस तरह के ना जाने कितने मैसेज इन दिनों सोशल पर तैरते हुए मिल जाएंगे। लेकिन सब अपने हिसाब से ही आगे बढ़ते हैं और दूसरों की मदद करते हैं। हालांकि करना भी ऐसा ही चाहिए। अब देखिए यहाँ किस तरह से एक माँ को उसकी एक बेटी से अचानक मिलवा दिया।

वैसे देखा जाए तो ऐसा बहुत कम होता है कि आपका अपना कोई बहुत दूर पहुंच जाए और वो अचानक से हज़ारों किलोमीटर दूर वहां पहुंच जाए जाने-अनजाने में जहां आप उसे मिल जाएं, तो ऐसे में आपकी और उनकी यानी दोनों की खुशी का ठिकाना ही नहीं होता।

चलिए एक ऐसी ही ख़बर से आपको मुखातिब कराते हैं। बतादें बिहार के गया की रहने वाली 65 वर्षीय वृद्धा माधवी के साथ भी ऐसा ही हुआ। माधवी के पति की 11 नवंबर 2020 को कोरोना के चलते मौत हो गई थी।

वे मेडिकल कंपनी में मैनेजर के रूप में काम कर चुके थे। पति की मौत ने माधवी को हिला दिया। वह पति के जाने का गम बर्दाश्त नहीं कर सकी और उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। इसके बाद वह गया के पाखंडियों की बातों में आ गई और मोक्ष पाने के लिए पैसे लुटाती रही।

फिर कुछ दिनों पहले वह ट्रेन से महाकाल की नगरी उज्जैन आ गई। हालांकि लॉकडाउन की वजह से उन्हें कहीं रहने का आश्रय नहीं मिला। ऐसे में एक लड़के ने उन्हें महाकाल थाने जाने की सलाह दी। उसने कहा कि वे लोग आपकी मदद जरूर करेंगे।

फिर थाना प्रभारी थाना महाकाल ने महिला की स्थिति देखते हुए उन्हें 20 मई को अंकित ग्राम सेवाधाम आश्रम भेज दिया। माधवी की बेटी अपनी मां को ढूंढने की कोशिश करती रही। इसके लिए उसने न्यूजपेपर में मिसिंग के कई विज्ञापन भी दिए। फिर एक दिन उन्हें अचानक फोन आया और मां के उज्जैन में होने की बात पता चली।

दरअसल महिला से पूछताछ में महाकाल थाना पुलिस को कुछ खास पता नहीं चल पाया था। लेकिन उन्हें महिला के पास एक डायरी भी मिली थी। जब पुलिस ने इन नंबरों पर कॉल करना शुरू किया तो एक नंबर माधवी की बेटी का भी निकला।

फिर जैसे ही पुलिसवालों ने बेटी को कॉल किया तो वो खुशी के मारे रोने लगी और माँ के बारे में पूछने लगी। फिर जल्दी से माँ के पास पहुंचकर माँ से मिलकर गले लगाकर ख़ूब रोई। कहते हैं ना कि जब कुदरत किसी का भला करती है तो कहीं से भी उसके अपनों को मिलवा देती है।

Avinash Kumar Singh

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