दिल्ली में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सरकारी आंकड़े जहां 984 मौतों की बात करते हैं तो एमसीडी का कहना है कि दो हजार से ज्यादा मौतें हुईं हैं। हालांकि, इन दिनों दिल्ली में श्मशान घाटों पर कोरोना से मरने वालों के शवों का ढेर लग रहा है श्मशान घाटों के हालात भयावह होते दिख रहे हैं। कोविड मरीजों के लिए रिजर्व साउथ एमसीडी के पंजाबीबाग श्मशान घाट रोजाना शवों से भर जाता है। जिससे शवों के अंतिम संस्कार के लिए परिवार वालों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। गुरुवार को पंजाबी बाग श्मशान घाट में दर्जनों शवों के एक साथ अंतिम संस्कार कराया गया |
पंजाबीबाग श्मशान भूमि के बाहर सन्नाटा छाया हुआ था। करीबी परिजन ही बाहर खड़े दिख रहे हैं। गुरुवार की दोपहर यहां आठ चिताएं जल रही थीं, जबकि चार से पांच चिताएं और तैयार की जा रही थीं। यहां सीएनजी की दो भट्ठियां भी हैं, जबकि लकड़ी की चिता के लिए साठ प्लेटफार्म बने हुए हैं। श्मशान भूमि के एक कर्मचारी ने बताया कि हर दिन यहां 50 से ज्यादा शव आते हैं। लकड़ी की चिताओं पर दाह संस्कार की तैयारी तो हर समय मौजूद है, लेकिन सीएनजी में एक शव को डेढ़ घंटे का समय लगता है। हालांकि, इसके बारे में अस्पताल में फोन करके तय कर लिया जाता है।
बता दें कि पंजाबी बाग श्मशान घाट को सिर्फ कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार के लिए रिजर्व किया गया है। सोमवार को ही एमसीडी ने इस बारे में सकरुलर जारी कर लोगों को हिदायत दी थी कि सामान्य मौत वाले शवों का यहां पर अंतिम संस्कार न किया जाए। ऐसे में यहां अंतिम संस्कार के लिए ज्यादा संख्या में शवों के पहुंचने से हर दिन हालात के भयावह होने का अंदाजा लगता है।
कोविड मरीजों के शव को यहां लाए जाने का असर श्मशान भूमि के बाहर भी देखने को मिल रही है। बाहर पीपीई किट और दस्ताने पड़े हैं श्मशान भूमि के बगल में मौजूद ढलावघर में दस्ताने, पीपीई किट जैसा कचरा पड़ा हुआ है।
कोंडली नहर और गाजीपुर डेयरी फार्म के समीप गाजीपुर श्मशान घाट के 12 प्लेटफार्म को कोरोना संक्रमण से हो रही मौतों के लिए अधिकृत किया गया है। यहां के एक कर्मचारी ने बताया कि दाह संस्कार जल्दी हो सके इसके लिए 50 किलोग्राम लकड़ी चिता पर अधिक दी जा रही है। जल्दी संस्कार के लिए ज्यादा लकड़ी इखटा करनी पड़ती है |
उधर, दिल्ली में मौतों को लेकर कांग्रेस नेता अजय माकन का रुख भी केजरीवाल सरकार को लेकर हमलावर है। अजय माकन ने दिल्ली में सबसे ज्यादा मृत्यु दर होने की आशंका जताई है। अजय माकन ने ट्वीट कर कहा, ‘ कुल 2098 का कोविड प्रोटोकॉल के तहत दिल्ली में अंतिम संस्कार हुआ। मगर सरकार सिर्फ 984 मौत दिखा रही है। साउथ डीएमसी में 1080, नार्थ डीएमसी 976, ईस्ट डीएमसी में 42 लोगों की मौत हुई। इस प्रकार दिल्ली में मृत्यु दर 6.4 प्रतिशत है। जो कि देश में सबसे ज्यादा है
कोरोना से हुई मौत के बाद गुरुवार को यहां दो शव लाए गये । दोनों शवों का कोविड-19 के लगे बोर्ड वाले जगह पर ही अंतिम संस्कार किया गया। इनमें से एक चिता का अंतिम संस्कार हो चुका था, जबकि दूसरी चिता का संस्कार चल रहा था। गाजीपुर श्मशान घाट के प्लेटफार्म 25 से 36 तक कोविड से हो रही मौतों के लिए रखा गया है। कोरोना से हो रही मौतों के अंतिम संस्कार के लिए 50 किलो लकड़ी फालतू दी जा रही हैं ताकि चिता का जल्द से जल्द संस्कार हो सके। गाजीपुर श्मशान घाट बुधवार से कोरोना शवों के संस्कार के लिए घोषित किया गया है। यहां दो दिन में पांच शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
कोरोना से मौत के आंकड़ों के साथ ही शमशान घाटों पर भी दवाब बढ़ गया था। दिल्ली के सबसे बड़े शमशान घाट में शामिल निगम बोध घाट पर सीएनजी से कोरोना संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था। घाट पर एक दिन में 18 शवों की सीएनजी से अंतिम संस्कार की व्यवस्था थी, लेकिन रोज करीब 30 से 32 शव पहुंच रहे थे, जिससे यहां व्यवस्था भी बिगड़ने लगी। घाट पर सभी व्यवस्थाओं की देखरेख करने वाले सुमन कुमार गुप्ता ने बताया कि घाट पर सीएनजी की तीन मशीन लगीं हुवी है |
उन्होंने यह भी बताया कि संस्कार करने के दौरान तीनों मशीनें लगातार काम कर रही हैं, क्योंकि एक शव के अंतिम संस्कार में करीब दो से ढाई घंटे का समय लगता है। ऐसे में एक दिन में 18 शवों के ही संस्कार हो पाते हैं। जब से सरकार ने लकड़ियों से कोरोना संक्रमितों के संस्कार करने का आदेश पारित किया है, तब से कुछ राहत मिली है। आम दिनों में अंतिम संस्कार के लिए 40 से 45 शव आते थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 80 से 85 शव तक जा पहुंची है। ऐसे में अलग-अलग व्यवस्था की गई हैं।
मसरूर हसन (जाजदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम) के मैनेजिंग कमेटी में असिस्टेंट सेक्रेटरी एडवोकेड ने बताया कि हमारे यहां कब्रिस्तान में एक अप्रैल से अब तक 235 बॉडी दफनाने के लिए आई हैं। दिल्ली में यदि कोरोना संक्रमण से मृतकों की संख्या बढ़ती जाती है थो मृतकों के शवों के लिए जगह कम पड़ जाएगी। उन्होंने बताया कि कोरोना शवों को दफनाने के लिए 15 फुट का गड्ढा खोदना अनिवार्य है।
मसरूर ने बताया कि शवों को नहलाने के साथ अन्य जो क्रियाएं होती हैं। शव को छुआ नहीं जाता है। शव प्लास्टिक में लपेटा होता है। इसे रस्सी की सहायता से शव को कब्र में डालते हैं। एगी तो कब्रिस्तान में जगह कम पड़ जाएगी। पहले आम शवों को दफनाने के लिए चार फुट का गड्डा खोदना पड़ता था, लेकिन कोरोना के शवों को दफनाने के लिए 12 से 15 फुट का गड्ढा खोदना पड़ता है।
दिल्ली में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सरकारी आंकड़े जहां 984 मौतों की बात करते हैं तो एमसीडी का कहना है कि दो हजार से ज्यादा मौतें हुईं हैं। बहरहाल, इन दिनों दिल्ली में श्मशान घाटों पर कोरोना से मरने वालों के शवों का ढेर लग रहा। श्मशान घाटों के हालात भयावह हैं।
Written by- Prashant K Sonni
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