भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से ईश्वर भक्ति में विलीन रहे हैं। उनका जन्म गुजरात के साधारण परिवार वडनगर में हुआ था। पीएम मोदी ने कभी स्वामी आत्मस्थानंद से संन्यास लेने की जिद की थी लेकिन उन्होंने कहा कि संन्यास मोदी की नियति नहीं है। 1966 की बात है। उन दिनों 16 साल के नरेंद्र मोदी राजकोट में थे।
जीवन के मकसद की तलाश में यहां-वहां घूमते उन्हें कुछ वक्त हो चला था। राजकोट में उन दिनों रामकृष्ण मिशन का केंद्र खुला ही था। सभी के जीवन में कोई ना कोई गुरु ज़रूर होता है। गुरु के ज़रिये ही हमारी सभी समस्याएं समाप्त होती हैं। उस समय मिशन केंद्र का काम स्वामी आत्मस्थानंद देख रहे थे।
स्वामी विवेकानंद से प्रभावित मोदी एक दिन इस केंद्र में आ पहुंचे। बताया जाता है कि आत्मस्थानंद के सानिध्य में कुछ दिन बिताने के बाद मोदी ने उन्हें अपना गुरू मान लिया। मोदी ने कहा कि वे भी सांसारिक जीवन से मुक्ति चाहते हैं। मोदी ने आत्मस्थानंद से उन्हें संन्यास की दीक्षा देने का आग्रह किया।
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