प्रसिद्ध भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक को विश्व खाद्य पुरस्कार से नवाजा गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूएस सेक्रेटरी स्टेट, माइकल पॉम्पि ने साइंटिस्ट रतन लाल की प्रशंसा करते हुए बताया कि वह उचित प्रबंधन से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता और न्यूट्रिएंट्स की रीसाइक्लिंग को सपोर्ट करके 500 मिलियन किसानों की मदद कर रहे हैं।

प्रसिद्ध भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक को विश्व खाद्य पुरस्कार से नवाजा गया।

इसके लिए उन्हें विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया जोकि कृषि क्षेत्र में ‘नोबेल प्राइज’ के समांतर माना जाता है। पुरस्कार में रतन जी को $250000 मिले ताकि वह अपनी इन कोशिशों को आगे भी जारी रख सकें।

साथ ही इस पुरस्कार समारोह में विश्व खाद्य पुरस्कार के संस्थापक- बारबरा स्टैन्सन और अमेरिका के कृषि विभाग के सेक्रेटरी सोनी पर्दे भी उपस्थित थे।

यूएस स्टेट सेक्रेटरी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दुनिया की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है इसलिए जरूरी है कि हम अपने साधन सावधानी और कुशलता से इस्तेमाल करें जिससे हर व्यक्ति तक उसकी जरूरत के अनुसार खाना पहुंचाया जा सके।

रतन लाल ने मृदा विज्ञान में कई संशोधन किए हैं। वे इस समस्या को भी सुलझाने में सफल हुए। उन्होंने बताया कि इस प्रश्न का हाल उनके पास है। उनके अनुसंधानों से कई लाखों किसानों को लाभ मिलेगा। फिलहाल रतनलाल खाने की गुणवत्ता और उपलब्धता को सुधार लाने के लिए काम कर रहे हैं।

रतनलाल बचपन में शरणार्थी खेतों में पले बढ़े। वह बचपन से ही एक होनहार स्टूडेंट थे और आगे चलकर विश्व के बहुत बड़े मृदा साइंटिस्ट बने। वे विश्व खाद्य पुरस्कार मिलने पर प्रसन्न तो थे लेकिन वह अभी भी चिंतित हैं कि किस प्रकार स्वस्थ मिट्टी और साफ वातावरण में उपजे हुए खाद पदार्थों को लोगों तक पहुंचाया जा सकता हैं ।

लाल जी ने अपना अनुसंधान कैरियर नाइजीरिया के ट्रॉपिकल कृषि के अंतरराष्ट्रीय संस्थान से शुरू किया। उसके बाद वह अपने मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने

के प्रोजेक्ट को लेकर एशिया, अफ्रीका और लेटिन अमेरिका गए।

उन्होंने कई सारे तकनीक ढूंढे और उनमें बदलाव किए जिससे मृदा कृषि में और भी स्वस्थ खाद्य पदार्थ की उपज हो सके। इस प्रकार उन्होंने उन सभी किसानों की मदद की जो अच्छी मिट्टी में स्वस्थ खाद्य पदार्थों की खेती करना चाहते थे।

Written by – Vikas Singh

Avinash Kumar Singh

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