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हरियाणा में हो रहे अनेकों बदलाव, फरीदाबाद भी है शामिल, डालते हैं एक नजर

हरियाणा को जल्द ही अंग्रेजों की 127 साल पुरानी गुलामी से आजादी मिलने वाली है। अंग्रजों के शासनकाल के दौरान जिस जेल और जेलर शब्द का जन्म हुआ था, उससे अब प्रदेशवासियों जल्द ही निजात पा सकेंगे। इस 127 साल पुरानी विरासत में जेल और जेलर, दोनों ही शब्दों का अर्थ आज किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है।

ज्ञात है कि किसी भी जुर्म पश्चात जेल में सजा भुगतनी ही पड़ती है और वहां के जेलर का कठोर और सख्त बर्ताव वाला चेहरा आंखों के सामने ही घूमता रहता है। अंग्रेजो के शासनकाल की 127 साल पुरानी इस गुलामी की याद दिलाने वाली इस विरासत को हरियाणा सरकार, प्रदेश से समाप्त करने का निर्णय ले चुकी है। इससे पूर्व कलकत्ता भी अंग्रेजों के शासन काल की इस पुरानी विरासत को अपने राज्य से मिटा चुकी है। कलकत्ता में जेल और जेलर शब्द के स्थान पर नया नामकरण किया जा चुका है।

हरियाणा में हो रहे अनेकों बदलाव, फरीदाबाद भी है शामिल, डालते हैं एक नजर

कोलकाता की तरह ही हरियाणा सरकार भी अब इन दोनों शब्दों को प्रदेश से मिटा देने का फैसला ले चुकी है। सरकार का कहना है कि किसी भी जुर्म की सजा में जेल जाना भले ही एक अदालती प्रारूप है, लेकिन उनका ये मानना है कि जेल कोई सजा काटने की जगह नहीं है, बल्कि जेल एक ऐसी जगह है जहां सजा प्राप्त लोगों को अपनी गलती का अहसास कराया जाता है,

तथा व्यक्ति को सुधरने का मौका दिया जाता है, ताकि वह फिर से समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके। इसलिए इन दोनों नामों के स्थान पर नया नाम देने का निर्णय लिया गया है। सुधारात्मक नामों का चयन इसके लिए किया जाएगा।

हरियाणा के जेल मंत्री रणजीत सिंह ने बताया नामों को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है तथा ग्रह सचिव के अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एक कमेटी गठित करने के प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यही कमेटी तय करेगी कि अंग्रेजों की गुलामी वाले इन नामों से निजात पाया जाएगा। राज्य सरकार के जेल व जेलर शब्दों में बदलाव के फैसले पश्चात राज्य के 1894 परिजन एक्ट में संशोधन हो जाएगा। पश्चिमी बंगाल में भी यह बदलाव सफलतापूर्वक किया जा चुका है, वहां जेल विभाग का नया नाम करेक्शन होम कर दिया गया है।

हरियाणा सरकार जेल और जेलर के स्थान पर कोई नया एवं अच्छा नाम रखना चाहती है। जेल मंत्री रणजीत सिंह का कहना है कि उनका उद्देश्य जेल में आने वाले कैदी को यह बताना है कि उसे सजा काटने के लिए जेल नही लाया गया है, बल्कि इसलिए लाया गया है, ताकि वह अपने जीवन में सुधार कर एक बार फिर समाज का हिस्सा बन सके व भविष्य में फिर से ऐसी कोई गलती न दोहराए।

जेल मंत्री रणजीत सिंह ने बताया की राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी अंग्रेजों के शासनकाल की इस 127 साल पुरानी विरासत से छुटकारा दिलाने के फैसले से बेहद खुश हैं तथा वे इस बात समर्थन भी कर रहे हैं। हरियाणा सरकार के इस प्रस्ताव को लागू करने की भी अनुमति उन्होंने दे दी है। उनका कहना है की जल्द ही हरियाणा को जेल और जेलर शब्द से छुटकारा मिल जाएगा। जेल मंत्री ने बताया की तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन कर दिया गया है। रणजीत सिंह खुद भी इन नामों के स्थानांतरण के पक्ष में हैं, इसलिए के खुद भी व्यक्तिगत तौर पर इस पर नजर रखे हुए हैं।

अरावली में बसे अवैध निर्माणों को गिराने के लिए वन विभाग एवं नगर निगम ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। अरावली क्षेत्र में अवैध निर्माण को लेकर वन विभाग की ओर से बुधवार को ड्रोन सर्वे कराया गया, जिसने यह पता लगाया गया कि वन विभाग की कितनी जमीन पर अवैध निर्माण हैं। इसके अलावा जिन संस्थानों ने सीएलयू के लिए आवेदन नही किया हुआ है, नगर निगम ने उन संस्थानों की फाइल बनाकर सरकार को भेजी है। छः अगस्त को सरकार सुप्रीम कोर्ट के आगे अपना पक्ष रखेगी कि कई विभागों से इन संस्थानों को एनओसी दे दी गई है तथा इन्हें किस कैटेगरी में रखा जाएगा। उसके पश्चात कोर्ट अपना अंतिम फैसला सुनाएगा। अवैध जमीन पर बने फार्म हाउस और शिक्षण संस्थानों को लेकर वन विभाग एवं नगर निगम असमंजस में है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा वन विभाग की जमीन से कब्जा हटाने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया गया था। कई शिक्षण संस्थानों सहित फार्म हाउस संचालकों ने अपने पक्ष रखते हुए कहा था कि उन्होंने स्टे हुआ है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन संचालकों को करारा जवाब देते हुए कहा कि जंगल की जमीन पर किसी भी प्रकार का अवैध निर्माण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा तथा इन्हें हटाया ही जाएगा।

अरावली क्षेत्र मैं इस समय अनेकों फॉर्म हाउस, बैंकट हॉल के साथ-साथ अन्य कई ऐसे शिक्षण संस्थान भी हैं, जो कई सालों से चल रहे हैं तथा इन संस्थानों को नगर निगम से सीएलयू भी दिया गया है। इन संस्थानों ने वन विभाग से कोई एनओसी नहीं ली हुई। बता दें कि वन क्षेत्र में केवल दो ही ऐसे संस्थान हैं जिन्होंने विभाग से एनओसी ली हुई है तथा केवल इन्हें ही सुरक्षित माना जा सकता है।

वन क्षेत्र में अवैध निर्माण को हटाए जाने के आदेश के बाद पिलानी ब्रांच का अधिकारी रिपोर्ट तैयार करने में जुटे हुए हैं। साथ ही ऐसे संस्थानों की लिस्ट भी तैयार की जा रही है जिन्होंने नगर निगम से सीएलयू लिया हुआ है या फिर लेने के लिए आवेदन कर दिया है। रिपोर्ट तैयार कर सरकार के पास भेज दी जाएगी। नगर निगम के कमिश्नर यशपाल यादव का कहना है कि 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी। उसके बाद किसने सीएलयू लिया है या आवेदन किया हुआ है पूरी तरह से साफ हो जाएगा।

फरीदाबाद नगर निगम के आयुक्त यशपाल यादव जी की निगम में वापसी से अब उन लोगों पर गाज गिरने वाली है जिनके कार्यकाल में अवैध निर्माण का कार्य जमकर हुआ। साथ ही जो आरटीआई – सीएम विंडोज एक्टिविस्ट ब्लैकमेलर के तौर पर भी जाने गए। वे जोड़तोड़ कर तोड़फोड़ विभाग में जमे रहने वाले ईमानदार एसडीओ जीतराम एवं जेई सुमेर सिंह ही हैं जिनके कार्यकाल में ये कार्य हुए हैं। निगम आयुक्त यशपाल यादव की वापसी पर अब निगम के कर्मचारियों में हर गोरा हट मचना शुरू हो गया है।

फरीदाबाद के अरावली वन क्षेत्र में निर्मित शिक्षण संस्थान, धार्मिक स्थान व फार्म हाउस मालिकों को 3 अगस्त 2021 को सर्वोच्च न्यायालय से कोई राहत व स्टे नहीं मिली है। न्यायाधीश ने सब कहां है कि वन क्षेत्र में आने वाले सभी अवैध निर्माणों को खाली कराया जाए। उन्होंने कहा कि 23 जुलाई को न्यायालय में दिए गए आदेश ही मान्य होंगे। साथ ही जिन फार्म हाउस या बैंकेट हॉल को सर्वोच्च न्यायालय से स्टे दिया गया है उसकी सुनवाई 6 अगस्त को की जाएगी। कौन सी जमीन वन क्षेत्र में आती है और कौन सी नहीं इसका निर्धारण राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। सूत्रों का मानना है कि अब अनेकों फॉर्म हाउस तथा शिक्षण संस्थानों पर गाज गिरना तय है।

फरीदाबाद में आपसी रंजिश के चलते मारे शराब ठेकेदार।
व्यापार में प्रतिस्पर्धा के चलते काम रेटों पर बेच रहे थे शराब, एक्साइज विभाग द्वारा एक्शन लिए गए, साथ ही पटेल चौक, नीलम चौक और चिमनी चौक सहित तीन ठीक है सील किए गए।
एससीएस डॉ सुमिता सिंह मिश्रा पर हरियाणा प्रदूषण बोर्ड का लगाया गया चार्ज।
सन 1990 बैच की आईएएस संभालेगी शहर की हबोहवा का रखरखाव।
शहरीकरण के बदलते परिवेश के कारण बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए विभाग होगा सक्रिय।
हुड्डा की नई प्रशासक बनी मोनिका गुप्ता, साथ ही पूर्व प्रशासक कृष्ण कुमार का भी तबादला हुआ, अनियमित कामकाज पर रोक लगाने में कामयाब होगी नई प्रशासक मोनिका गुप्ता।

सब रजिस्ट्रार के पद पर तैनात राजेंद्र कुमार राणा की लंबे समय के बाद वापसी से उप निबंधन कार्यालय में सोसाइटीयों की फाइलों से धूल मिट्टी हटने लगी। अब विभाग में न्याय की आस बंधेगी तथा विभाग जवाबदेही के लिए भी तैयार होगा।
इसके साथ ही कार्यालय प्रमुख के ना होने का रोना रोने वालों पर भी बंदिश लगेगी तथा नियम कानूनों की धज्जियां और आने वाले कर्मचारियों पर भी लगाम कसी जाएगी। इसके अलावा राजपूतों का साथ देने वालों को भी हर तरह से हिसाब देना होगा।

फरीदाबाद मेट्रोपॉलिटन विकास प्राधिकरण में अनीता यादव को अतिरिक्त सीईओ के पद पर नियुक्ति प्रदान की गई है। बता दें कि श्रीमती यादव इससे पहले रोहतक रेंज के कमिश्नर का पद संभाल रही थी तथा उससे पहले अनीता यादव नगर निगम फरीदाबाद की कमिश्नर भी रह चुकी हैं। अपने कार्यकाल में अनीता यादव ने बेहतरीन तरीके से काम किए थे। लेकिन सेक्टर 24 औद्योगिक क्षेत्र में हुए विवाद के कारण सरकार को मजबूरी में अनीता यादव से फरीदाबाद नगर निगम का चार्ज वापस लेना पड़ा था। स्क्रीन पर विवाद एनजीटी में जवाब न दे पाने के कारण एनजीटी ने अनीता यादव के प्रति कड़ा रुख दिखाते हुए कमिश्नर अनीता यादव के प्रति नकारात्मक टिप्पणी की थी और उन्हें रातोंरात निगम से हटा दिया गया था। अनीता यादव को यह अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की गलती का खामियाजा भुगतना पड़ता था। अनीता यादव तभी से फरीदाबाद में पुणे नियुक्ति का इंतजार कर रही थी। अब सरकार द्वारा उन्हें फरीदाबाद मेट्रोपॉलिटन विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी दी गई है। आशा जताई गई है कि अपने अनुभव के आधार पर प्राधिकरण के जरिए अनीता यादव और भी बेहतर तरीके से काम करेंगी।

Avinash Kumar Singh

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