कुछ करने का जज्बा उम्र का मोहताज नहीं होता है। आपमें बस काम करने की लग्न होनी चाहिए। ऐसे ही कचरा प्रबंधन प्रणाली में सुधार लाने की कोशिश के तहत बेंगलुरू की छात्रा ने छोटी उम्र में बड़ा कमाल कर दिखाया है। छठी क्लास की छात्रा ने प्याज, लहसुन और टमाटर के छिलकों से कागज बनाने के लिए एक अनोखी पहल की।
ऐसा करना शायद ही कोई सोच सकता था लेकिन इस बच्ची ने कमाल कर दिखाया है। छोटी सी उम्र में ऐसा करना आसान नहीं था लेकिन इस बच्ची ने सब्जी के छिलकों से कागज बनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। पर्यावरण बचाने में मानया हर्षा के प्रयासों की United Nations-Water ने सरहाना की है।
पर्यावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। लेकिन हम सभी आँखें मूँद कर बैठे हैं। छात्रा हरित पहलों में सक्रिय रूप से शामिल होती रही है और अपना ज्यादातर समय प्रकृति संरक्षण के लिए अभियान चलाते हुए बिताती है। अपनी दादी के घर हरियाली के बीच पली-बढ़ी हर्षा को प्रकृति ने हमेशा अपनी ओर खींचा। जैसे ही उसे शहर में कचरे की डंपिंग पर चिंता को महसूस किया, उसने बढ़ते खतरे को रोकने का मन बना लिया।
इतना ही नहीं जिस उम्र में बच्चे शिक्षा की तरफ ध्यान देते हैं उस उम्र में इस बच्ची ने पर्यावरण संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए एक ब्लॉग बनाया, और प्रकृति के विषय पर पांच किताबें लिखी। हाल ही में मर्कोनाहल्ली डैम और वर्का बीच पर लगतार कचरा प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उसने सफाई अभियान चलाया।
उनकी सोच के आगे बड़े – बड़े लोग भी घुटने टेकने को मजबूर हो गए हैं। छिलकों को कागज में बदलने के शुरुआती प्रयास आसान नहीं थे और आसानी से सफल नहीं हुए, लेकिन कई नाकामियों के बाद उसे सफलता मिली और प्याज के छिलकों को कागज में बदलना संभव हो सका।
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