भारत आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हर राज्य में भारत की आजादी से संबधित हजारों कहानियां हैं। उनमें एक हरियाणा भी है। हरियाणा को यूं ही वीरों की भूमि नहीं कहा जाता। इस मिट्टी ने अनेकों वीर और बलिदानी पुरुषों को जन्म दिया है। यहां की महिलाएं भी किसी मायने में कम नहीं रहीं। देश के स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा का इतिहास वाकई लाजवाब रहा है।
देशभक्ति में हरियाणा से आगे शायद ही कोई दूसरा राज्य होगा। फ़ौज की बात हो या फिर देश को गर्व करवाने वाले पलों की हर जगह हरियाणवियों ने देश का मान बढ़ाया है। आजादी में हरियाणा की महिलाओं का योगदान भी किसी मायने में कम नहीं रहा है।
भारत को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं। देश को आजाद कराने में लाखों लोगों ने अपनी जान की आहूती दी है। 1857 से लेकर 1947 तक की कालावधि में हिसार, सिरसा, अंबाला, रोहतक, गुरुग्राम, उकलाना, टोहाना आदि क्षेत्रों से ऐसी महिलाओं की सूची काफी लंबी बनाई जा सकती है, जिन्होंने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया।
देश को आजाद कराने में कितने ही वीरों ने अपने खून बहाया है यह कहना बहुत ही मुश्किल है। जंग-ए-आजादी हरियाणा की सुपुत्रियाें ने पूरी हिम्मत और वीरता के साथ अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। इनमें प्रमुख थी चांदबाई, तारावती, लक्ष्मीबाई आर्य, गायत्री देवी, कस्तूरी देवी, मोहिनी देवी, मन्नोदेवी, सोहाग रानी, सोमवती, शन्नो देवी, कस्तूरीबाई। इन सभी ने अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा दी थी।
इतिहास इसका हमेशा साक्षी रहेगा कि हरियाणा की सैंकड़ो महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अनूठी मिसाल कायम की थी। इन्हीं में एक हैं। हिसार की चांदबाई और तारावती। कटला रामलीला मैंदान हिसार में युद्व विरोधी नारे लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया तथा 22 फरवरी 1941 को 6 महीने की सजा दी गई तथा 24 फरवरी 1941 को महिला कारागार लाहौर भेज दिया गया। गर्भवती होने के कारण इनकी पुत्रवधू तारावती अपनी गिरफ्तारी नहीं दे पाईं।
फेहरिस्त अभी समाप्त नहीं हुई है। हरियाणा की शेरनियों ने अंग्रेजों के पसीने छुड़ा दिए थे। इन्हीं और नाम है सोनीपत की गायत्री देवी का, सोहाग रानी का, रोहतक की लक्ष्मी आर्या का, एक और लक्ष्मी देवी जिनके पति का नाम था ओम प्रकाश। ब्रिटिश सरकार ने इन पर मुकदमा चलाया और गिरफ्तार कर जेल में रखा। इस जेल में कोई राजनीतिक महिला नहीं थी। इसलिए पूरे शहर में विरोध हुआ और अंत में इन्हें लाहौर की महिला जेल में भेज दिया गया।
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