माँ के प्यार के आगे बड़ी से बड़ी शक्ति भी फींकी पड़ जाती है। माँ के प्यार का मुकाबला कोई नहीं कर सकता है। माँ का प्यार एक अनोखा और अद्भुत अनुभव होता है, जो एक महिला अपने बच्चें को बिना शर्तो के करती हैं। माँ के अनेक रुप होते है, कभी रक्षक बनकर संभालती है, तो कभी अनुशासक बनकर सही रास्ता दिखाती है। माँ बनना एक महिला के सौभाग्य की बात होती है, जिसका हर औरत बेसब्री से इंतजार करती है, पर जब उसी संतान पे एक आंच आ जाए तो घबरा जाती हैं।
जाको राखे साइयां,मार सकें ना कोए ‘ यह कहावत चरितार्थ साबित हुई है माँ के प्यार के कारण। जब बात माँ के बच्चें की जिंदगी के ऊपर बात आ जाए तो सबसे लड़ जाति है, उनके सामने यमराज ही क्यों न हो। हम ऐसी ही एक माँ के बारे में बताने जा रहे हो,जिसने अपने बच्चें की जिंदगी के लिए यमराज तक से लड़ गई, और मौत के मुंह से बाहर ले आई।
मां की ममता के आगे कुछ भी बड़ा नहीं होता है। मां से बढ़कर इस दुनिया में कुछ नहीं है। जी हाँ, हम बात कर रहें है, हरियाणा के बहादुरगढ़ जिले की एक परिवार के बारे में। जहां हितेश और जानवी दंपति ने अपने सारी उम्मीद छोड़ दी थी, जब डॉक्टरों ने उनके बेटे को मृत घोषित कर दिया था। पर एक माँ को यह बात स्वीकार नहीं थी, कैसे अपने जिगर के टुकड़े को अपने आंखो के सामने मरता देखना। वह रोती रही बिलखती रही, और आखिर में ऐसा कुछ हुआ जो आधुनिक विज्ञान से भी बड़ा चमत्कार था, उस बच्चे में हलचल दिखी, और अब वह बच्चा स्वस्थ हैं।
मां जितना प्यार अपने बच्चों को करती है उतना ही शायद कोई कर पाता है। जब एक परिवार के छोटे बेटे के टायफाइड की बीमारी ने उस परिवार को इतनी बड़ी चुनौती का सामना करा दी। यह घटना एक बच्चे की टाइफाइड की बीमारी से शुरू हुआ, पर इस बीमारी ने उस बच्चें की जिंदगी दाव पर लगा दी। जब सारे डॉक्टरों ने हर मान ली थी, और परिवार को भी कोई राह नहीं दिख रही थी। तब एक माँ की प्रार्थना और पीड़ा देख कर यमराज को घुटने टटेकना पड़ गया, और अपना फैसला बदलना पढ़ गया। और आखिरकार एक माँ ने अपने बच्चें को मौत के मुंह से बाहर निकाल लाई।
मां अपने बच्चे को बचाने के लिए किसी से भी लड़ जाती है। मां सदैव ही अपने बच्चों का भला चाहती है और उन्हें हर आंच से दूर रखना चाहती है।
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