देश को आजादी मिलने से पहले यहां अंग्रेजो का ही राजतंत्र था। लेकिन आजादी मिलते ही देश से राजतंत्र की समाप्ति हुई व लोकतंत्र का जन्म हुआ। लेकिन आज भी ऐसे कुछ नेताओं का दबदबा बना हुआ है, जिनके पूर्वजों ने आजादी की लड़ाई में अपना जलवा दिखाया था। भले ही संविधान से रियासत का अंत हो चुका है, लेकिन कुछ लोग आज भी आजादी की लड़ाई में शामिल लोगों के वंशजों को ने केवल राजा मानते हैं
बल्कि उनके प्रभाव क्षेत्र को भी वे रियासत की हो दृष्टि से देखते हैं। एक लंबे समय से अहीरवाल की राजनीति में जमे राव इंद्रजीत भी राव तुलाराम के वंशज होने के कारण उन्हीं में से एक हैं, जिन्हें लोग राजा मानते हैं। अब खास बात यह ही कि 17 अगस्त को इन्हीं केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत से भी बड़ा पद हासिल कर भूपेंद्र यादव उन्हीं के रियासत क्षेत्र में अपना जलवा बिखरने जा रहे हैं। भूपेंद्र यादव का यह दौरा भले ही पार्टी की रणनीति का हिस्सा है, लेकिन इसे अहीरवाल में इंद्रजीत की रियासत में भूपेंद्र यादव की रियासत माना जा रहा है।
बता दें कि कैबिनेट मंत्री के पद पर तैनात भूपेंद्र यादव आगामी 20 अगस्त तक हरियाणा व राजस्थान के छः लोकसभा क्षेत्रो का दौरा करेंगे। जिन सांसदों को पिछले महीने मंत्री पद दिया गया है, प्रधानमंत्री मोदी ने उन सभी को दो लोकसभा क्षेत्रों में कम से कम 200 किलोमीटर की जन आशीर्वाद यात्रा का निर्देश जारी किया है।
विभिन्न वर्गों को लुभाने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखते हुए मंत्रियों के रूट तय किया गए हैं। लेकिन भूपेंद्र यादव का मामला कुछ अलग है क्योंकि इनकी यात्रा यात्रा दो नही बल्कि छः लोकसभा क्षेत्रों में 500 किलोमीटर से भी अधिक की दूरी तय करेगी। भूपेंद्र यादव राज्यसभा के सदस्य हैं व उनकी कर्मस्थली राजस्थान है। उनका पैतृक गांव गुरुग्राम जमालपुर है। उनकी पार्टी भूपेंद्र यादव को कैबिनेट मंत्री बनाकर न केवल अहीरवाल की ओबीसी बेल्ट में बल्कि पूरे राजस्थान में लाभ लेने की इच्छुक है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि भूपेंद्र यादव की इस लोकसभा यात्रा से अहीरवाल की राजनीति खतरे में पड़ सकती है या फिर राव इंद्रजीत का जलवा यूहीं बरकरार बना रहेगा। उनके कार्यकर्ता उनकी ढाल हैं व इन कार्यकर्ताओं ने अभी तक स्वागत के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर रखी हुई है। बता दें अगले पांच दिनों में भूपेंद्र यादव का 100 से भी अधिक जगहों पर स्वागत होगा।
इन 100 जगहों में से लगभग 50 हरियाणा के उन स्थानों स्थित है जहां राव इंद्रजीत सिंह का जलवा है। पार्टी का प्रयास सबको साथ लेकर चलने का है लेकिन अभी तक इंदरजीत सिंह उनके कर्मचारियों ने जन आशीर्वाद यात्रा को अपना आशीर्वाद नहीं दिया है। राजस्थान के अलवर क्षेत्र में पीड़ा अजीत सिंह का ही असर है लेकिन यादव बेल्ट में उपेंद्र सिंह यादव एक नया सितारा बनकर उभरे हैं। इस समय पार्टी के सामने अब नए और पुराने के बीच तालमेल बिठाने की एक बड़ी चुनौती है।
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