लॉकडाउन के कारण बंद ट्रेनों में से कुछ और ट्रेन पटरी पर लौट सकती हैं। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा कि राज्य यदि स्पेशल ट्रेन के अलावा अन्य ट्रेन चलाने की मांग करते हैं तो ट्रेन चलाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के अनुरोध पर आवश्यक सेवाओं से जुड़े नागरिकों के लिए उपनगरीय सेवाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए भी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा गया है।
मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली मुंबई की लोकल ट्रेन 84 दिनों के बाद सोमवार को पहली बार चली। हालांकि, अभी लोकल ट्रेन में मात्र सरकारी कर्मचारी ही सफर कर सकेंगे। आम लोगों को अभी सफर करने की अनुमति नहीं दी गई है।
राज्य सरकार की ओर से जारी एक सूची के अनुसार अभी लोकल ट्रेन में मंत्रालय के कर्मचारी, पुलिसकर्मी, बृहन्मुंबई महानगरपालिका के कर्मचारी, बेस्टकर्मी, स्वास्थ्य सेवा, सफाई सेवा आदि यात्रा कर सकेंगे। लेकिन अत्यावश्यक सेवा से जुड़े मीडियाकर्मियों को अभी इनमें यात्रा करने की अनुमति नहीं है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये यादव ने मीडियाकर्मियों को बताया कि रेलवे ने 5231 कोच को कोविड केयर सेंटर के रूप में बदला है। राज्य सरकारें इसका इस्तेमाल कर सकती हैं। इनमें संदिग्ध और पॉजिटिव मरीजों के लिए अलग-अलग कोच भी बनाए गये है | हर कोच में आठ केबिन है। जहां तक संभव होगा हर केबिन में एक मरीज रखेंगे। वहीं एक कोच में पॉजिटिव दो ही मरीजों को रखा जाएगा।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकारों की बताई जगहों पर कोच को रखा जाएगा। रेलवे के पास 85 ऐसे स्टेशन हैं जहां रेलवे का अस्पताल है। यहां मेडिकल स्टाफ रेलवे का होगा। 135 स्टेशन पर राज्य सरकार मेडिकल स्टाफ देगी। अब तक तेलंगाना, यूपी और दिल्ली ने इस तरह की कोच की मांग की गयी है। 40 कोच दिल्ली के शकूर बस्ती शेड में पहुंचाया गया है।
आवश्यक सेवा के लिए 230 स्पेशल ट्रेन के अलावा ट्रेन चली तो पहचान पत्र से ही सफर करने की अनुमति मिलेगी। ई-पास जारी किया जाएगा। ट्रेन में अमूमन 1200 यात्री सफर करते है, लेकिन इस ट्रेन में 700 यात्री सफर करेंगे।
रेलवे ने लॉकडाउन में एक मई से अब तक 60 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाया है। इससे उसे 360 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि रेलवे ने अब तक 4450 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई है। उन्होंने कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन का औसत किराया 600 रुपये प्रति सवारी है। हमें संचालन लागत के तौर पर केवल 15 फीसदी ही प्राप्त हुए हैं। एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने की लागत 75 लाख से 80 लाख रुपये आती है। इनमें केंद्र का हिस्सा 85 फीसदी और राज्यों से 15 फीसदी लिया गया है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि असिस्टेंट लोको पायलट व तकनीशियन का पद जल्द भरा जाएगा। इन 64,371 पदों के लिए 48 लाख आवेदन मिला था। नियुक्ति के साथ प्रशिक्षण भी देना पड़ता है इसी वजह से देरी हो रही है। नॉन टेकनिकल पॉपुलर कैटगरी में 35,200 पदों के लिए 1.60 लाख आवेदन मिले हैं और इस पर भी काम चल रहा है।
पश्चिम रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी गजानन महातपुरकर ने बताया कि सोमवार से 162 सेवाएं शुरू की गई हैं, जिसमें अत्यावश्यक सेवा से जुड़े लोगों को ही यात्रा करने की इजाजत दी गई है। वहीं, मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी एके जैन ने बताया कि फिलहाल, 200 सेवाएं शुरू की गई हैं।
Written by- Prashant K Sonni
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