एक महिला के लिए शादी के बाद उसका पति ही सबकुछ होता है। गुजरात की एक युवती की कनाडा में अक्टूबर 2020 में शादी हुई थी। शादी के 4 महीने बाद उसे सूचना मिली कि, गुजरात में उसके ससुर को हार्ट अटैक आ गया है। इस पर वह अपने पति के साथ वडोदरा लौटी। यहां लौटने पर उसके पति को कोरोना हो गया। 10 मई से पति की हालत नाजुक हो गई।
महामारी के बीच सभी लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है। दो महिने से पति एक प्राइवेट हॉस्पिटल में वेंटिलेटर पर है। डॉक्टरों ने कहा कि, हालत बेहद गंभीर हो गई है और अब वह 48 घंटे से ज़्यादा जिंदा नहीं रहेगा। इस पर पति को खोने के डर से बिलबिलाई युवती ने गुजरात हाईकोर्ट का रूख किया।
शादी के बाद महिला पति के साथ अपना सुखद जीवन बिताने और परिवार आगे बढ़ाने का सपना देखती हैं। लेकिन की बार ऐसा दुर्भाग्य भी आती है जब बच्चे होने से पहले ही पति का देहांत हो जाता है। हाईकोर्ट के समक्ष युवती ने गुहार लगाई कि, मुझे अपने पति का स्पर्म चाहिए, ताकि मैं उनके बच्चे को जन्म दे सकूं। मगर, मेडिकल कानून इसकी इजाजत नहीं देता। कृपया मेरी प्रार्थना सुनें।
महामारी काल में ऐसी बहुत सी खबरें सुनने को मिल रही हैं जिसको जानकर इंसान बहुत भावुक हो जाता है। हाईकोर्ट ने सारी सुनवाई रोककर इस मामले को सुना। फिर 15 मिनट के अंदर फोन पर ही स्टर्लिंग हॉस्पिटल को आईवीएफ प्रोसिजर का आदेश दे दिया। इतिहास में संभवत: पहली बार ऐसा हुआ, जब हाईकोर्ट ने सारी सुनवाई रोककर एक पति के लिए बिलखती उसकी पत्नी की गुहार सुनी।
पत्नी ने अपने पति के अंतिम समय में उसके प्यार की निशानी पाने के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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