हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (BSEH) एक बार फिर चर्चाओं में है। आरटीआई में इसे लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। खुलासे में सामने आया है बोर्ड परिसर में रह रहे अधिकारियों और कर्मचारियों का बिजली का बिल शिक्षा बोर्ड स्वयं भर रहा है। साथ ही यह भी सामने आया है कि 16 अधिकारी तो गरीब बच्चों की फीस से अपने घर में बैठ एसी की हवा खा रहे हैं।
बोर्ड सचिव ने मामले के खुलासे के बाद सख्ती दिखाई है। उन्होंने कहा कि अगर उनको कुछ भी गलत मिला तो एक–एक पैसे की रिकवरी की जाएगी।
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड हर साल दसवीं, बारहवीं की रेगुलर और ओपन तथा डी.एल.एड. (डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन) की परीक्षाएं आयोजित करता है। प्रदेश भर के करीब नौ लाख बच्चे विभिन्न परीक्षाओं में बैठते हैं।
शिक्षा बोर्ड हर साल वसूलता है करोड़ों रुपए
परीक्षा आयोजन के लिए शिक्षा बोर्ड हर साल विद्यार्थियों से करोड़ों रुपए वसूलता है। वहीं एक आरटीआई में यह खुलासा हुआ है कि शिक्षा बोर्ड के कर्मचारी व अधिकारी नियम ताक पर रखकर मौज काट रहे हैं।
227 सरकारी आवास में केवल 7 बिजली के मीटर
आरटीआई लगाने वाले समाजसेवी बृजपाल परमार ने बताया कि शिक्षा बोर्ड में कुल 227 सरकारी आवास हैं, जिनमें केवल सात बिजली के मीटर लगे हैं। यानी बाकी सभी अधिकारी व कर्मचारी शिक्षा बोर्ड की बिजली फ्री में फूंक रहे हैं।
गरीब बच्चों की फीस पर अधिकारी ले रहे मौज
यही नहीं 16 अधिकारी तो ऐसे भी हैं जो गरीब बच्चों की फीस पर अपने आवासों में एसी के मजे ले रहे हैं। इसके साथ ही कार्यालयों में भी 45 एसी लगे हैं, जो सरकार व मुख्य सचिव के निर्देशों की अवहेलना है।
बृजपाल ने यह भी बताया कि आरटीआई में कई सवालों का जवाब नहीं दिया गया और कई का जवाब गोलमाल दिया है।
दशकों से चल रहा है सिलसिला
बृजपाल के अनुसार फ्री बिजली फूंकने व एसी की हवा खाने का यह सिलसिला दशकों से चल रहा है। अब वह हाईकोर्ट की मदद से इस पैसे की रिकवरी कराएंगे।
बोर्ड सचिव ने कही यह बातें
इस संबंध में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (BSEH) के सचिव हितेन्द्र कुमार इस पूरे मामले पर सख्त नजर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले ही उन्होंने चार्ज संभाला है। उनके संज्ञान में यह मामला अभी आया है।
बोर्ड सचिव ने आगे कहा कि वह पूरे मामले की जांच करेंगे और कहीं कोई गड़बड़ी मिली तो एक–एक पैसे की संबंधित कर्मचारी व अधिकारी से रिकवरी की जाएगी। उन्होंने यह बात खुद भी मानी कि नियम के अनुसार बोर्ड के हर अधिकारी या कर्मचारी को अपने सरकारी आवास का बिजली का बिल खुद के पैसे से भरना होता है।
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