लोक अदालत से आए एक अनोखे फैसले के अनुसार ‘पति और पत्नी’ के साथ अब ‘गर्लफ़्रेंड’ भी घर में रह सकेगी :- लोक अदालत के इस फैसले के तहत धार्मिक नगरी ओंकारेश्वर के मांधाता निवासी पति बसंत माहूलाल और पत्नी शांति के साथ बसंत के साथ पिछले दस साल से ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रह रही रामकुमारी भी एक ही घर में रहेगी.
लोक अदालत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘लिव इन रिलेशनशिप’ को मान्यता देने के मद्देनजर यह फैसला दिया है. उसको अपने ‘पार्टनर’ के मकान, खेत एवं जमीन में आधा हिस्सा भी मिलेगा. इस फैसले में सबसे अनोखी बात तो यह है कि एक कमरे में पति रहेगा, जो घर के बीच में है.
वहीं, उसके दूसरी ओर के एक कमरे में पत्नी और दूसरे कमरे में ‘वो’ रहेगी. पति के कमरे का दरवाजा दोनों कमरों में खुलेगा तथा पति का कमरा दोनों की ओर पन्द्रह-पन्द्रह दिन के लिए खुलेगा.
खंडवा में हुई लोक अदालत ने समझौते के आधार पर मकान, खेत और पति को भी दोनो के बीच बराबर के हक के साथ बांट दिया है. पत्नी शांति ने दो साल पहले अपने पति बसंत माहूलाल की अदालत में शिकायत की थी कि उसने लगभग 10 साल से उसके अलावा एक दूसरी महिला रामकुमारी से ‘लिव इन रिलेशनशिप’ का रिश्ता कायम किए है और उसे घर में ही रख लिया है.
मामला परिवार परामर्श केन्द्र में भी गया, लेकिन वहां कोई हल नहीं निकल सका. लोक अदालत के विशेष न्यायाधीश गंगाचरण दुबे ने इसकी जांच कराई.
जांच रिपोर्ट में घरेलू हिंसा होना पाया गया. तब पति बसंत और ‘लिव इन रिलेशन’ पार्टनर रामकुमारी को नोटिस जारी हुआ. महिला का पति बिजली विभाग में लाइनमैन है. उसने लोक अदालत में कहा कि ‘लिव इन रिलेशनशिप’ अदालत की नजर में भी पाप नहीं है. इसलिए हमारी शर्तो पर भी ध्यान दिया जाए.
लोक अदालत के विशेष न्यायाधीश गंगाचरण दुबे ने तीनों पक्षों की आपसी सहमति के बाद उक्त समझौता कराया.
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