नसीरुद्दीन शाह हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता है। अक्सर अपने बयानों को लेकर वह सुर्ख़ियों में रहते हैं। नसीरुद्दीन शाह मूल रूप से अफगानिस्तान के हैं लेकिन उनके पिता और दादा अंग्रेजी हुकूमत के समय भारत में बतौर सरकारी मुलाजिम काम करते थे। आजादी के बाद भारत पाकिस्तान के बंटवारे में नसीर के पिता ने भारत में रहना स्वीकार किया था।
नसीरुद्दीन शाह, जिन्हें हिंदी फ़िल्म उद्योग में अदाकारी का एक पैमाना कहा जाए तो शायद ही किसी को एतराज हो। नसीर ने अपने बायोग्राफी में अपने दादा का विस्तार से किया है और बताया है कि किस तरह से अंग्रेजों ने खुश होकर उनके दादा को मेरठ की जागीर सौंप दी थी।
नसीर की काबिलियत का सबसे बड़ा सबूत है, सिनेमा की दोनों धाराओं में उनकी कामयाब। नसीरुद्दीन शाह का जन्म 20 जुलाई 1949 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में हुआ था। 1980 से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले नसीरुद्दीन की एक्टिंग के तो सभी कायल हैं। फिल्मों में उनके योगदान के लिए पद्मश्री और पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है।
नसीर अपने शानदार अंदाज से मुख्य धारा के चहेते सितारे बन गए हैं। शाह ने विभाजन के समय पाकिस्तान ना जाने के संबंध में बात करते हुए कहा, “ये सच है कि भारत में मेरे पिता की कोई जायदाद नहीं थी लेकिन वह सरहद पार जाकर अपने ज़मीर की आवाज़ के ख़िलाफ़ दावा करके जायदाद हथियाना नहीं चाहते थे।
शाह की आत्मकथा पाँच बरस पहले प्रकाशित हुई थी। 20 साल की उम्र में नसीरुद्दीन शाह ने खुद से 15 साल बड़ी मनारा सीकरी से शादी की थी। मनारा को परवीना मुराद के नाम से भी जाना जाता था। जब नसीरुद्दीन ने घरवालों से मनारा से शादी करने की ख्वाहिश जताई तो उनके पैरेंट्स गुस्से से आगबबूला हो गए क्योंकि मनारा नसीर से उम्र में 15 साल बड़ी थीं। साथ ही उनकी पहले शादी हो चुकी थी और एक बच्चा भी था।
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