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पति के जिंदा रहते हुए भी ‘विधवा’ का जीवन जीते हैं ये महिलाएं, उदासी में ही काटने पड़ते हैं कई महीने

भारत विविधताओं से भरा देश है। हिंदू धर्म में शादी के बाद एक सुहागिन स्त्री के जीवन में सिंदूर, बिंदी, महावर, मेहंदी जैसी चीजें बहुत मायने रखती हैं। ये महिलाएं अपने समुदाय के रिति-रिवाजों को लंबे समय से मानते हुए आ रही हैं। बताया जाता है कि गछवाहा समुदाय की विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए ही विधवाओं जैसा जीवन जीती हैं।

सिंदूर, बिंदी, महावर, मेहंदी जैसी चीजें बहुत मायने रखती हैं। ये सभी चीजें एक सुहागिन स्त्री के सुहाग का प्रतीक होती हैं। गछवाहा समुदाय के लोग मुख्यतः पूर्वी उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं। इस समुदाय के लोग ताड़ी उतारने का काम करते हैं। गछवाहा समुदाय के मर्द करीब 5 महीनों तक लगातार ताड़ के पेड़ से ताड़ी उतारते हैं। इस दौरान उनकी पत्नियां न तो सिंदूर लगाती हैं और न ही किसी तरह का कोई श्रृंगार करती हैं।

इस दौरान महिलाएं उदासी में ही रहती हैं। स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए ही सोलह श्रृंगार करती है व्रत रखती हैं लेकिन एक समुदाय ऐसा भी है जहां की महिलाएं पति के जीवित होते हुए भी हर साल कुछ समय के लिए विधवाओं की तरह रहती हैं।जानकारी के मुताबिक तरकुलहा देवी, गछवाहा समुदाय की कुलदेवी हैं। जब गछवाहा समुदाय के आदमी ताड़ी उतारने का काम करते हैं, उस समय उनकी पत्नियां अपने श्रृंगार का सामान तरकुलहा देवी के मंदिर में रखती हैं। यह मंदिर पूर्वी यूपी के गोरखपुर जिले में स्थित है।

महिलाएं लंबे समय से इस रिवाज का निर्वाह करती आ रही हैं। कई महीनों तक विधवाओं जैसा जीवन जीने के बाद ये महिलाएं सावन में पड़ने वाली नाग पंचमी के दिन तरकुलहा मंदिर में पूजा-अर्चना करती हैं और सिंदूर से अपनी मांग भरती हैं। समुदाय के लोग अपनी क्षमता के अनुसार मंदिर में पशुओं की बलि भी चढ़ाते हैं। बता दें कि ताड़ के पेड़ काफी ऊंचे होते हैं। इनकी ऊंचाई करीब 50 फीट होती है, ऐसे में ताड़ी उतारते समय जरा-सी लापरवाही व्यक्ति को मौत के मुंह में धकेल देती हैं।

वे न ही सिंदूर लगाती हैं, न बिंदी, महिलाएं किसी भी तरह का कोई श्रंगार नहीं करती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर ताड़ी का सेवन किया जाता है। बताते चलें कि समुदाय की नई पीढ़ियां इस तरह के रिति-रिवाजों के साथ-साथ ताड़ी उतारने के काम को भी ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं। वे मौजूदा समय को देखते हुए अन्य कामों में भी अपना हाथ आजमाते रहते हैं।

Avinash Kumar Singh

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Avinash Kumar Singh

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