हरियाणा के परिवहन विभाग के प्रधान सचिव पद पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा आईपीएस की नियुक्ति किए जाने से गृह मंत्री अनिल विज नाराज हैं। गृह मंत्री अनिल विज चाहते थे कि आईएएस कैडर के पदों पर आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति न की जाए। बता दें प्रदेश में चार आईपीएस, तीन आईएफएस तथा एक आईआरएस अधिकारी अपने मूल कैडरों के बजाय आईएएस कैडर के पदों पर कार्य कर रहे हैं।
जबकि मनोहर लाल व उनकी टीम के अधिकारियों का कहना है कि सरकार अफसरों में काम की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा कर हुए अच्छे परिणाम सबके सामने देना चाहती है। इसीके आधार पर आईएएस कैडर के पदों पर आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति को सही ठहराया गया है। लेकिन अनिल विज ने नाराजगी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मेरे आदेशों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए वे सक्षम हैं और कर भी सकते हैं।
बता दें कि अभी एक दिन पहले ही हरियाणा सरकार द्वारा 1994 बैच की सीनियर आईपीएस अधिकारी कला रामचंद्रन को परिवहन विभाग का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है। इसे पहले शत्रुजीत कपूर के पास यह जिम्मेदारी थी, लेकिन सरकार द्वारा उन्हें डीजीपी विजिलेंस बनाकर वापस पुलिस सेवा में लाया गया है। गृह मंत्री अनिल विज के पास कला रामचंद्रन को परिवहन विभाग में प्रधान सचिव लगाने का प्रस्ताव आने पर उन्होंने केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से इसकी अनुमति लेने की सलाह दी।
मुख्य सचिव विजयवर्धना भी विज द्वारा दी गई इस सलाह के हक में थे। लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा इनकी सलाहों की नजरंदाजी की गई तथा कला रामचंद्रन को परिवहन विभाग में प्रधान सचिव बनाने के आदेश जारी कर दिए गए। मुख्य सचिव विजयवर्धन भी द्वारा भी ये आदेश जारी कर दिए जाए। आईपीएस लाबी इस फैसले से काफी खुश है।
कला रामचंद्रन की नियुक्ति के बाद अनिल विज ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में बताया कि मैंने कला रामचंद्रन को परिवहन विभाग में लगाए जाने के लिए कभी नहीं कहा। वे एक सक्षम व काबिल अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि आईपीएस अधिकारी को इस पद पर नियुक्त किए जाने के पहले मैंने डीओपीटी की इजाजत लेने के लिए कहा था। लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मेरे आदेशों व सलाह को नजरंदाज करते हुए खारिज कर दिया। अंत में विज ने कहा कि मुख्यमंत्री सर्वोपरी हैं और वे कुछ भी कर सकते हैं, इसलिए कहने के लिए कुछ भी नहीं बचता।
आईएएस सेवा में आने से पहले मुख्य सचिव विजयवर्धन भी वर्ष 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं। इसके अलावा वे संयुक्त सचिव गृह विभाग-प्रथम, विशेष सचिव गृह और गृह सचिव के पद पर भी रहे। इन तीनों ही पदों पर रहते हुए उन्होंने पुलिस कल्याण की दिशा में बेहतरीन कार्य किए। वैसे तो वे आईपीएस अधिकारी को आईएएस कैडर के पदों पर नियुक्ति देने के व्यक्तिगत रूप से विरोध में नहीं हैं, लेकिन क्योंकि मुख्य सचिव का पद हरियाणा की अफसरशाही का सबसे बड़ा पद होता है
, इस वजह से उन्होंने सरकार को सलाह दी थी कि आईएएस कैडर के पदों पर आइपीेस अफसरों की नियुक्ति का कोई नियम नहीं है, इसलिए ऐसा कोई भी फैसला लेने से पहले केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की अनुमति लेना अति आवश्यक है। गौरतलब है कि आईएएस कैडर के पदों पर नियुक्ति के लिए ऑल इंडिया सर्विस रूल्स लागू होते हैं, जो संसद द्वारा पारित किए जाते हैं, जिन्हें कोई भी राज्य सरकार नहीं बदल सकती। केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग आईएएस अफसरों के लिए कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी के रूप में कार्य करता है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रिंसिपल मीडिया सलाहकार विनोद मेहता का कहना है कि सरकार को हमेशा जनता के हित में अच्छे परिणामों की आवश्यकता होती है। ऐसे में यदि सरकार द्वारा नए प्रयोग किए जाते हैं और उसके परिणाम भी अच्छे ही आते हैं तो उसमें कोई हर्ज नहीं है। विनोद मेहता ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल अधिकारियों के बीच व पूरे प्रदेश में स्वस्थ कार्य संस्कृति पैदा करना चाहते हैं। इसलिए कोई भी अधिकारी किसी भी कैडर के पदों पर कार्य कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस बारे में मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से भी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।
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