मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली के कई इलाकों सहित एनसीआर यानी कि बहादुरगढ़, गुरुग्राम, मानेसर, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, लोनी देहात, हिंडन एयरफोर्स स्टेशन, गाजियाबाद, छपरौला, नोएडा, दादरी, ग्रेटर नोएडा, करनाल, आसंध, पानीपत, गोहाना, गन्नौर, सोनीपत, खरखोदा, जींद, रोहतक व झज्जर में शनिवार को झमाझम बारिश होनी तय है। शनिवार सुबह से ही यहां भारी बारिश हो रही है।
इस दौरान 24 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। दिल्ली में भारी बारिश के कारण एयरपोर्ट पर भी पानी भर गया गया है, जिसकी वजह से विमानों के आवागमन में काफी दिक्कतें आ रही हैं। राजस्थान के उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, राजसमंद, चित्तौडगढ़़ और झालावाड़ में अगले तीन दिनों तक भारी वर्षा का अनुमान मौसम विभाग द्वारा लगाया गया है।
13 जुलाई को दिल्ली में मानसून ने दस्तक दी। मौसम विभाग के अनुसार यह 19 सालों में सबसे देरी से पहुंचने के बावजूद भी यहां 16 दिनों तक लगातार बारिश हुई जोकि चार सालों में सबसे अधिक है। अगस्त माह में यहां केवल 10 दिन बारिश हुई, जो सात सालों में सबसे कम दर्ज की गई। अब तक सितंबर में 248.9 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि आमतौर पर दिल्ली में सितंबर माह में 129.8 मिमी बारिश होती है।
मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली में आमतौर पर 1 जून से मानसून शुरू होता है। बरसात के पूरे सीजन में यहां पर औसतन 649.8 मिमी. बारिश होती है। बात यदि 1 जून से 10 सितंबर तक की की जाए तो औसतन 586.4 मिमी बारिश यहां होती है। यह आंकड़ा 10 सितंबर को इस बार 1005.3 पर पहुंच गया।वर्ष 2003 में इससे पहले यहां 1005 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।
बता दें कि मध्य भारत में मौसम विभाग के अनुसार 39 फीसदी काम बारिश हुई। महाराष्ट्र, गुजरात, गोआ, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा मध्य भारत क्षेत्र में आते हैं जबकि उत्तर पश्चिम भारत में उत्तरी राज्य शामिल हैं। इस क्षेत्र में 30 फीसदी काम वर्षा दर्ज की गई है।
मुंबई में भी हल्की से मध्यम बारिश का अनुमान मौसम विभाग द्वारा लगाया गया है। बीएमसी ने बताया कि मुंबई शहर एवं उपनगरीय इलाकों के कुछ हिस्सों में भी रुक-रुककर हल्की से मध्यम स्तर की बारिश होने का अनुमान है।स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष द्वारा बताया गया की मानसून पैटर्न में यह बदलाव जलवायु परिवर्तन के चलते हो रहा है। सिर्फ 24 घंटे में अब 100 मिमी तक बारिश दर्ज की जा रही है। जबकि इतनी बारिश 10 से 15 दिन में होती थी। ऐसी बारिश से ग्राउंडवॉटर रिचार्ज नहीं होता और निचले क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है।
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