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शादी के 9 दिन बाद हुई पति की हत्या, जिसपर था शक उसी के खिलाफ चुनाव लड़ विधायक बनी महिला

भारत में राजनीतिक हत्याएं होना आम बात है। शायद ही कोई ऐसा राज्य होगा जहां राजनितिक हत्याएं नहीं होती होंगी। कुछ मामले ऐसे होते हैं जो सालों तक याद रहते हैं। ऐसे ही दिन था 25 जनवरी 2005। दोपहर करीब तीन बजे थे। बसपा विधायक राजू पाल पोस्टमार्टम हाउस में कुछ लोगों से मिलकर नीवां लौट रहे थे। उसी दौरान नेहरू पार्क मोड़ से आगे अमितदीप मोटर्स के पास उनके काफिले की स्कार्पियो और क्वालिस गाड़ी को घेरकर शूटरों ने ताबड़तोड़ फायर किए।

वो नज़ारा ऐसा था कि जिसने भी देखा वो खामोश हो गया। उस समय खुद क्वालिस ड्राइïव कर रहे राजू पाल को सीट पर ही गोलियों से छलनी कर दिया गया था। उनके साथ देवीलाल पाल और संदीप यादव भी मारे गए थे। रुखसाना समेत कई लोग घायल हुए।

शादी के 9 दिन बाद हुई पति की हत्या, जिसपर था शक उसी के खिलाफ चुनाव लड़ विधायक बनी महिलाशादी के 9 दिन बाद हुई पति की हत्या, जिसपर था शक उसी के खिलाफ चुनाव लड़ विधायक बनी महिला

इतना ही नहीं बल्कि बदले की राजनीती ऐसी थी कि ह्त्या जिस प्रकार से की गयी उससे पूरा शहर जल उठा था। चुनाव लड़ने के पहले भी राजू पाल के ऊपर एक बार जान लेवा हमला हुआ था। हमले में घायल राजू पाल की आंत को काट कर छोटा करना पड़ा था। काफी दिन तक एक निजी हॉस्पिटल में राजू पाल भर्ती थे। उसी हॉस्‍पिटल में पूजा पाल पोछा लगाने का काम करती थीं।

राजू पाल समेत तीन लोगों की हत्या को 15 साल से अधिक समय गुजर गया है। पूजा और राजूपाल में निकटता काफी बढ़ गई थी। एमएलए बनने के बाद लगातार हो रहे हमले को देखते हुए राजू ने पूजा पाल से शादी का फैसला किया। 17 जनवरी 2005 को राजू ने पूजा से शादी कर ली। 9 दिन के वैवाहिक जीवन के बाद ही 25 जनवरी 2005 राजू की हत्‍या हो गई और पूजा पाल विधवा हो गईं।

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था कि अपने राजनितिक लाभ के लिए किसी की हत्या की जा रही हो। राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने तत्कालीन फूलपुर सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, फरहान, आबिद, रंजीत पाल, गुफरान समेत नौ लोगों के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश, बलवा, हत्या की कोशिश का केस धूमनगंज थाने में दर्ज कराया था।

शादी के 9 दिन बाद ही पूजा को विधवा देख मायावती काफी दुखी हुईं। राजू पाल की मौत के बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो ने पूजा पाल को टिकट दिया। पूजा इलाहाबाद पश्चिमी सीट से अतीक के भाई अशरफ को हराकर विधायक बनीं। 2012 में फिर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचीं।

Avinash Kumar Singh

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Avinash Kumar Singh

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